
भारतीय क्रिकेट टीम ने बीते सात दशकों में काफी बदलाव देखा है. जहां 70 के दशक में टीम इंडिया की गिनती फिसड्डी देशों में होती थी, वहीं अब देश की गिनती क्रिकेट के चुनिंदा बेहतरीन देशों में होती है. साल 1983 में टीम इंडिया के विश्व चैंपियन बनने के बाद से देश में तेजी से क्रिकेट के ढांचे में बदलाव देखने को मिला. जहां एक तरफ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड विश्व का सबसे धनी बोर्ड बना तो दूसरी तरफ भारतीय खिलाड़ियो को करोड़ों के ऐड औरसेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर करोड़ो की फीस मिलती. साथ ही उन्हें आईपीएल में भी करोड़ो रूपये की डील मिलती है. दुनिया की सबसे महंगी क्रिकेट लीग का आयोजन भारत में ही होता है, लेकिन फिर भी भारत के पहले विश्व विजेता कप्तान कपिल देव को लगता है कि अभी भी सुधार की गुंजाइश है.
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कपिल देव ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान भारतीय खिलाड़ियों पर जमकर निशाना साधा है. कपिल देव ने द वीक से कहा,”मतभेद सामने आते हैं, इन खिलाड़ियों के बारे में अच्छी (बात) यह है कि वे बहुत आश्वस्त हैं. निगेटिव प्वाइन्ट बात यह है कि वे सोचते हैं कि वे सब कुछ जानते हैं. मुझे नहीं पता कि इसे इससे बेहतर कैसे रखा जाए. लेकिन वे आश्वस्त हैं. लेकिन उन्हें लगता है कि 'आपको किसी से पूछने की ज़रूरत नहीं है'. हमें लगता है कि एक अनुभवी व्यक्ति आपकी मदद कर सकता है.”
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कपिल देव ने आगे कहा,"कभी-कभी बहुत अधिक पैसा आता है, अहंकार आता है. इन क्रिकेटरों को लगता है कि वे सब कुछ जानते हैं. यही अंतर है. मैं कहूंगा कि बहुत सारे क्रिकेटर हैं जिन्हें मदद की ज़रूरत है. जब सुनील गावस्कर हैं, तो आप बात क्यों नहीं कर सकते? अहंकार कहाँ है? ऐसा कोई अहंकार नहीं है. उन्हें लगता है कि 'हम काफी अच्छे हैं.' हो सकता है कि वे काफी अच्छे हों, लेकिन किसी ऐसे व्यक्ति से अतिरिक्त मदद जिसने क्रिकेट के 50 सीज़न देखे हों, वह चीजों को जानता है. कभी-कभी सुनने से आपका विचार बदल सकता है.”
बता दें, हाल ही में भारतीय क्रिकेट में सबसे सम्मानित नामों में से एक और पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा था कि वर्तमान में भारतीय क्रिकेटर शायद ही कभी उनके पास सलाह के लिए आते हैं. गावस्कर ने एक इंटरव्यू में हाल ही में कहा था, ''राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण नियमित रूप से मेरे पास आते थे. वे एक समस्या के साथ मेरे पास आते थे और आप उन्हें कुछ बता सकते थे जो आपने देखा था. मुझे इस बारे में कोई अहंकार नहीं है. मैं जा सकता था और उनसे बात कर सकता था, लेकिन चूंकि दो कोच हैं - राहुल द्रविड़ और विक्रम राठौड़ - इसलिए कभी-कभी आप पीछे हट जाते हैं क्योंकि आप उन्हें बहुत अधिक जानकारी के साथ भ्रमित नहीं करना चाहते हैं.''
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