
Illegal Immigrants of Bangladesh: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की भाजपा (BJP) सरकार ने राज्य में कथित रूप से रह रहे अवैध घुसपैठियों के खिलाफ सख्त रुख इख्तियार कर लिया है. यह मामला मंगलवार को सदन में उठा. ध्यानाकर्षण में अजय चंद्राकर ने बांग्लादेशी, रोहिंग्या घुसपैठियों का मुद्दा उठाया. अजय चंद्राकर ने दावा किया कि राज्य के कई जिलों में घुसपैठिए रह रहे हैं और लगातार इनकी जनसंख्या बढ़ रही है.
उन्होंने यह भी दावा किया कि अवैध दस्तावेज बनाकर ये लोग सरकारी योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी तंत्र भी घुसपैठियों की मदद कर रहा है, जिससे अवैध घुसपैठियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं.
सरकार ने एसटीएफ के गठन का किया खुलासा
इसके जवाब में डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि सरकारी तंत्र अवैध प्रवासियों की जांच में जुटा है. राज्य में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया है. साथ ही इन लोगों की गतिविधियों के संबंध में जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किए गए हैं. शर्मा ने कहा कि एसटीएफ का गठन पहली बार हो रहा है. अब तक 19 अपराध दर्ज कर 40 लोग गिरफ्तार किए गए हैं.
डिपोर्ट करने की तैयारी
अजय चंद्राकर ने पूछा जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई है. उनके खिलाफ किस नियम के तहत कार्रवाई की गई है. इसके जवाब में डिप्टी सीएम ने कहा कि इन सभी फॉरेनर्स एक्ट के तहत गिरफ्तारी हुई है. अब इन लोगों को होल्डिंग सेंटर बनाकर रखा जाएगा. इसके बाद चंद्राकर ने पूछा कि कितने डिपोर्ट सेंटर बना रहे हैं और इन लोगों को कहां भेजा जाएगा. इसके जवाब में
डिप्टी सीएम ने कहा कि डिपोर्ट के लिए बीएसएफ बटालियन तक पहुंचाना होता है, पहले 1000 सीटर डिपोर्ट सेंटर बना रहे हैं.
दोषी अफसरों पर कार्रवाई के सवाल पर चुप्पी
वहीं, इस मामले में विधायक धरम जीत सिंह ने पूछा कि जो पकड़ाए हैं, उन्हें संरक्षण देने वालों पर भी कोई कार्रवाई हुई है? फिर उन्होंने कहा कि रोहिंग्याओं की जानकारी दीजिए, इन्हें संरक्षण देने और दस्तावेज बनाने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी?इसके जवाब में डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि जो पकड़े गए हैं, वे सारे बांग्लादेशी हैं, जिनके डिपोर्ट की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. उन्होंने आरोप लगाया कि रायपुर में कांग्रेस के पार्षद ने ही बांग्लादेशी के लिए अवैध दस्तावेज बनाए थे.
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हालांकि, सरकार के इस कदम पर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं. दरअसल, नागरिकता साबित करना आसान नहीं होता है. यह एक लंबी प्रक्रिया है. जल्दबाजी में कई बार गलत तरीके से भारतीय नागरिकों को भी भेज दिया जाता है, जिसे बाद में भारत सरकार से फिर से उन नागरिकों को लाना पड़ता है. ऐसे ही एक मामले में महाराष्ट्र सरकार ने 4 बांग्ला भाषियों को बांग्लादेश भेज दिया था, जो भारत का नागरिक निकला, जिसे वापस लेना पड़ा. दरअसल, जल्दबाजी में बांग्ला भाषी मुसलमानों को आनन-फानन में बांग्लादेशी बता कर भेज दिया जाता है.