
पुणे में 19 मई 2024 को हुए चर्चित पोर्श हादसे (Porche Car Accident) में किशोर न्याय बोर्ड (JJB) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की पुलिस और पीड़ित पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है. इस हादसे में दो आईटी इंजीनियरों की दर्दनाक मौत हुई थी, जब 17 वर्षीय आरोपी की तेज रफ्तार पोर्श कार ने उन्हें टक्कर मार दी थी. घटना के समय आरोपी नाबालिग था, हालांकि अब वह 18-19 वर्ष का हो चुका है.
एनडीटीवी से बातचीत में अश्वनी के पिता सुरेश कोस्टा ने कहा कि इस फैसले से न्याय की उम्मीदें टूट रही हैं और ऐसे मामलों में समाज में गलत संदेश जाएगा.
क्या था मामला?
18 मई 2024 को पुणे के कोरेगांव पार्क इलाके में आरोपी (बिल्डर और कारोबारी का बेटा) अपनी पोर्श कार को तेज रफ्तार में चला रहा था. नशे में धुत होने की भी पुष्टि हुई थी. उसकी गाड़ी ने बाइक सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों जबलपुर के अश्वनी कोस्टा और उमरिया के अनीश अवधिया (अश्वनी का दोस्त) को टक्कर मार दी, जिससे मौके पर ही दोनों की मौत हो गई.
जमानत पर विवाद
हादसे के बाद आरोपी को JJB ने महज कुछ घंटों में 300 शब्दों का निबंध लिखने, ट्रैफिक सिग्नल पर एक महीने तक सेवा देने और मानसिक काउंसलिंग कराने की शर्त पर जमानत दे दी थी. इस फैसले पर पूरे देश में तीखी आलोचना हुई. इसके बाद पुणे पुलिस ने JJB में याचिका दायर कर आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की मांग की थी, ताकि गंभीर सजा दी जा सके.
JJB का ताजा फैसला क्यों अहम है?
JJB ने कहा कि घटना के समय आरोपी 17 साल का था, इसलिए किशोर न्याय अधिनियम के तहत ही ट्रायल चलेगा. इस फैसले का मतलब है कि अगर आरोपी पर दोष सिद्ध भी होता है तो उसे अधिकतम तीन साल तक सुधार गृह में भेजा जा सकेगा. वहीं, यदि वयस्क की तरह मुकदमा चलता तो आरोपी को 10 साल तक की सजा का सामना करना पड़ सकता था.
परिवार और पुलिस नाराज, हाईकोर्ट जाने की तैयारी
मृतकों के परिवार और पुणे पुलिस ने इस फैसले पर निराशा जताई है. पुलिस ने कहा है कि वे जल्द ही इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे.
क्यों महत्वपूर्ण है यह मामला?
- यह केस अमीर बच्चों द्वारा नियम तोड़ने और कानून से बचने की कोशिशों पर सामाजिक विमर्श का केंद्र बना.
- शराब और नाबालिग ड्राइविंग पर सख्ती की मांग और ट्रैफिक नियमों के पालन का मुद्दा इस केस से जुड़ा है.
- हादसे के बाद महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई होगी, ताकि न्याय हो और आगे ऐसे हादसे न हों.
- नाबालिग और वयस्क ट्रायल के कानूनी अंतर पर एक बड़ी बहस फिर छिड़ गई है.
आगे क्या होगा?
- पुलिस हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सकती है.
- अगर हाईकोर्ट JJB के फैसले को पलट देता है तो आरोपी पर वयस्क की तरह ट्रायल शुरू होगा.
- अगर फैसला बरकरार रहा तो केस किशोर न्याय अधिनियम के तहत ही आगे बढ़ेगा, जिससे सजा सीमित हो जाएगी.