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    व्यापार में सर्वोच्च स्थान पर रहा भारत

    Indian Economy: कुल मिलाकर, व्यापार के लिए हमारे उद्योगपति, व्यापारी और नाविकों ने दुनिया भर में संचार किया. विश्व में अनेक स्थानों पर पहली बार हमारे व्यापारी गए हैं. प्राचीन भारत के व्यापार के संदर्भ में कई लोगों ने लिखकर रखा है. उसमें पश्चिमात्य प्रवासी प्रमुखता से है.

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    विकसित भारत की नींव बनेंगे अमृत रेलवे स्टेशन

    Amrit Bharat Stations: स्टेशनों के डिज़ाइन में पारंपरिक तत्वों के साथ-साथ आधुनिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण को भी शामिल किया जा रहा है. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि रेलवे स्टेशन न केवल अपनी सौंदर्यता से बल्कि अपनी उपयोगिता से भी लोगों के जीवन में योगदान करें. इसके अलावा, सार्वजनिक स्थानों की स्वच्छता और डिज़ाइन में सुधार, यात्रियों को बेहतर अनुभव देने के लिए बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.

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    श्रमिकों के आंदोलन में बापू! अनोखी थी पहली भूख हड़ताल

    Ahmedabad Mill Strike 1918: एक छोटे पैमाने का प्रयास होने के बावजूद, 1918 की अहमदाबाद मिल हड़ताल भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास के लिए अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है. अहमदाबाद की हड़ताल ने मजदूर वर्ग को राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल किया, ठीक उसी तरह जैसे चंपारण सत्याग्रह ने किसान वर्ग को शामिल किया.

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    'माही' मार नहीं...मात खा रहा है!

    धोनी के फैन्स माही को सिर्फ मारते देखने आता है, क्योंकि उन्होंने धोनी को विस्फोटक बल्लेबाज के रूप में ही सरआंखों पर बिठाया है. धोनी की कप्तानी और विकेट कीपिंग से कितना भी कहर बरपा दें, फैन्स की नजर में धोनी का ये हुनर हमेशा दोयम रहा है.

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    डॉ बाबासाहेब आंबेडकर और राष्ट्रीय धारा

    Ambedkar Jayanti: इस्लाम और पाकिस्तान के बारे में बाबासाहब की सोच ऐसे सीधी, सरल और सपाट हैं. एकदम स्पष्ट. कही कोई संभ्रमावस्था नहीं हैं. जीवन के अलग अलग मुकाम पर भूमिका बदलनेका भी प्रयास नहीं हैं. ‘हिन्दू – मुस्लिम एक साथ नहीं रह सकते इसलिए विभाजन आवश्यक हैं’ ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन.

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    ... इसलिए मात खा रहे हैं नक्सली 

    छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद के सफाए के लिए सरकार ने इस बार तीन बड़े प्वाइंट्स पर सबसे ज्यादा काम किया. इसका परिणाम ये है कि नक्सलवाद अब अंतिम सांसे ले रहा है. आइए जानते हैं इस ट्रिक के बारे में जिसकी वजह से नक्सलवाद अंतिम सांसे ले रहा है.

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    नमस्कार, मैं बस्तर का पत्रकार हूं...पोल खोली तो फंसाया या मारा जाऊंगा ! 

    छत्तीसगढ़ के बस्तर में पत्रकारिता करना बेहद जोखिम भरा है. यहां पत्रकार विषम परिस्थितियों में काम कर रहे हैं.

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    पाकिस्तान का टूटता तारा - बलूचिस्तान

    Balochistan Vs Pakistan: इन दिनों बलूचिस्तान की चर्चा जमकर हो रही है. पाकिस्तान और आफगानिस्तान के बीच बलोच लोगों की अपनी मांगें हैं. आइए जानते हैं बलूचिस्तान से जुड़ी अहम जानकारियां.

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    International Women's Day 2025: महिला सशक्तिकरण : विकसित राष्ट्र के विकास का आधार स्तम्भ

    International Women's Day 2025: भारतीय जीवनशैली में महिलाओं की भूमिका सदैव अग्रणी रही है. हम जितने अधिक अवसर बहन-बेटियों को देंगे, सुविधाएँ देंगे तो वे समाज को कई गुना लौटाकर देंगी. महिला शक्ति से देश नई ऊँचाई तक पहुँच सकता है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है. समय के साथ शिक्षा, तकनीक और अन्य क्षेत्रों में उनकी भूमिका बढ़ रही है.

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    विकसित रेल-विकसित भारत “विश्व स्तरीय” से “श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ”

    Viksit Rail Viksit Bharat: अपनी नई रेलगाड़ियों, आधुनिक स्टेशनों, तेज गति, डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और हाई स्पीड नेटवर्क के साथ, भारतीय रेलवे अब एक प्रमुख विश्व स्तरीय रेलवे प्रणाली है और इसकी कहानी ऐसी है जिसे भारत अन्य देशों तक ले जा सकता है, जिन्होंने अभी तक राष्ट्रीय विकास को बढावा देने में रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका का पूरी तरह से लाभ नहीं प्राप्त किया है.

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    हिंदवी स्वराज्य : एक परिपूर्ण व्यवस्था

    शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य की एक परिपूर्ण व्यवस्था तैयार की थी. अपने देश में मुस्लिम आक्रांताओं के आने से पहले, राज-काज संस्कृत में, या संस्कृत प्रचुर स्थानिक भाषाओं में होता था. किन्तु मुस्लिम आक्रांताओं ने इस देश के व्यवहार की भाषा को फारसी में बदल दिया. ऐसी भाषा, जो जन-सामान्य को समझती ही नहीं थी. सारे आज्ञापत्र फारसी में ही निकलते थे.  

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    26 जनवरी: संविधान सभा की बेहद खास बहसों को याद करने का दिन

    76th Republic Day: 26 जनवरी संविधान सभा की उन बहसों को भी याद करने का दिन है जिनमें तीन वर्षों तक लगातार सभा के विद्वान सदस्यों ने देश का सर्वोच्च विधान तैयार करने के लिए छोटे-छोटे बिंदुओं पर लंबी श्रमसाध्य बहसें कीं ताकि भारत को एक समृद्ध, संप्रभु, न्याय और विवेकसम्मत राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ने की दिशा में मिल सके.

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    स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति मिशन: संवाद, सामर्थ्य और समृद्धि की त्रिवेणी

    National Youth Day 2025: "मुझे विश्वास है कि यह मिशन युवाओं के सपनों को साकार करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सफल होगा. प्राचीन, सुसंस्कृत और चिर युवा भारत की यह त्रिवेणी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विकसित राष्ट्र निर्माण के संकल्प को साकार करने में सक्रिय भूमिका निभायेगी. युवा अपने सपनों को साकार करें, स्वयं आगे बढ़ें और समाज, देश तथा प्रदेश को आगे बढ़ायें."

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    ठहाकों का साथी,सच्चाई का सिपाही और बस्तर का बेटा था मुकेश चंद्राकर

    मुकेश चंद्राकर- एक ऐसा नाम जो बस्तर की बुलंद आवाज़ थे. उनमें बस्तर की आत्मा बसती थी. वे खबरों की रिपोर्ट नहीं करते थे बल्कि उसमें बस्तर की पीड़ा होती थी. बस्तर के संघर्ष के वे चश्मदीद गवाह होते थे. तभी तो जब सरकार और सुरक्षाबल थक-हार गए थे तब मुकेश उनके लिए ताकत बन कर खड़े हुए थे. इसी का परिणाम पूरी दुनिया ने तब देखा जब वो नक्सलियों के कब्जे से CRPF के कमांडो को छुड़ा लाए थे. इस रिपोर्ट में पढ़िए उनके पत्रकार साथियों की जुबानी उनकी कहानी.

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    अटल जी के नदी जोड़ो स्वप्न से मिली जनगण को सौगात

    अटल जी एक आदर्शवादी राजनेता के साथ एक काव्य साधक भी थे. उनकी काव्य साधना में मानव समाज और राष्ट्र के प्रति उनकी व्यक्तिगत संवेदनशीलता आद्योपांत प्रकट होती है. वह एक ऐसे भारत के निर्माण का स्वप्न देखते थे, जो भूख, भय, गरीबी, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो.

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    Opinion : ख़ुशी के मायने क्या ?

    जिन्हें बहुत कुछ मिला है, वे अक्सर उन चीज़ों की कदर नहीं कर पाते जो उनके पास है. यूँ तो उनके पास पैसा है, घर है, गाड़ी है, लेकिन फिर भी वे किसी न किसी कमी का दुख मनाते रहते हैं. वहीं, जिनके पास कम है वे तमाम छोटी चीजों को आशीर्वाद मानते हैं.

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    महापरिनिर्वाण दिवस: डॉ बीआर अम्बेडकर और संविधान

    Mahaparinirvan Diwas 2024: आज डॉ बीआर अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है. समाज का एक बड़ा तबका उन्हें भारतीय संविधान का निर्माता मानता है. वहीं एक और बात बहुत प्रचलित है कि भारतीय संविधान विदेशी संविधानों की नकल है. ऐसा कहने वाले संविधान निर्माण में अम्बेडकर की भूमिका को कम करके दर्शाना चाहते हैं. ऐसे भ्रमों को स्वयं अम्बेडकर ने दूर किया है. आइए जानते हैं संविधान निर्माण में उनकी भूमिका और इससे जुड़ी उनकी चिंताओं के बारे में.

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    संविधान की सफलता के सूत्र

    संविधान सभा में भारत के संविधान को सफल बनाने के लिए जो सूत्र दिए गये थे, उनको जानना और समझना बहुत जरूरी है. खासकर उन लोगों को ये सूत्र जानना चाहिए, जो संवैधानिक मूल्यों को जाने-समझे बिना, संविधान का विश्लेषण करते हैं या फिर संविधान को खारिज करने का अभियान चलाते हैं.

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    संविधान दिवस : मनसा वाचा कर्मणा में हों संवैधानिक मूल्य

    संवैधानिक मूल्य हमें सही और ग़लत में फर्क करना सिखाते हैं. संवैधानिक मूल्य की जिम्मेदारी और पालन देखें, तब समझ आता है कि, यह हमारी नैतिकता पर निर्भर करता है. कई बार हमारा आचरण, व्यवहार और कार्य में संवैधानिक मूल्यों का पालन‌ नजर नहीं आता, जिससे संवैधानिक मूल्यों को क्षति पहुंचती है.

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    मिट रही जनजातियों की भाषाओं से खतरे में भारत की आदिम संस्कृति

    भाषाओं की विलुप्ति की महामारी ने  कई भाषाओं को अपनी जद में ले लिया है. कुछ भाषा विज्ञानी यहां तक कहते हैं कि 3.5 महीने में एक भाषा दम तोड़ रही है. अंग्रेजी जैसी वैश्विक भाषा की जद में पूरी दुनिया आ चुकी है. भारत ही नहीं दुनिया भर की भाषाओं के लिए अंग्रेजी खतरा बन चुकी है. विश्व की तीसरी भाषा होने के बाद भी हिंदी अपने देश में संरक्षण की मोहताज है.

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