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बिना लैब किस काम के कार्ड? MP में ₹150 करोड़ से ज्यादा की 263 मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं खा रही हैं धूल

NDTV Ground Report: साल भर पहले मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) का दावा था कि हर गांव, हर खेत तक मिट्टी परीक्षण जांच प्रयोगशाला के लिये एंबुलेंस जाएगी. एंबुलेंस तो छोड़िये सालों पहले करोड़ों के खर्च से बने लैब बेकार पड़े हैं.

बिना लैब किस काम के कार्ड? MP में ₹150 करोड़ से ज्यादा की 263 मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं खा रही हैं धूल

Soil Testing Laboratory in MP: सब "मिट्टी" में! जी हां आपने सही पढ़ा, क्योंकि जिस तरह से मध्य प्रदेश में मृदा परीक्षण केंद्र (Mitti Parikshan Prayogshala) के हाल हैं, उसे देखते हुए लाइन बिल्कुल सटीक बैठती है. आज हमारे प्रदेश के अन्नदाताओं (Farmers) को पता ही नहीं है कि मिट्टी में किस पोषक तत्व (Soil Nutrients) की कमी हो रही है. पहले की बात करें तो देश की मिट्टी में नाइट्रोजन (Nitrogen) और फॉस्फोरस (Phosphorus) की कमी थी, उसके बाद 90 के दशक में पोटैशियम (Potassium) और सल्फर (Sulphur) कम हुआ. अब हमारी मिट्टी में जिंक, अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है. लेकिन आज एमपी के किसान मिट्‌टी की जांच के लिए परेशान है क्यों कि उनको लैब नहीं मिल पा रही है. वहीं सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है. तो चलिए सरकारी दावों और किसानों से किये गये वायदों के बीच हम आपको मध्यप्रदेश के 10 जिलों से हमारी ये ग्राउंड रिपोर्ट दिखाते हैं. 

313 ब्लॉक में 263 मिट्टी परीक्षण लैब, लक्ष्य से 188.38% ज्यादा Soil Health Card

साल भर पहले मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) का दावा था कि हर गांव, हर खेत तक मिट्टी परीक्षण जांच प्रयोगशाला के लिये एंबुलेंस जाएगी. एंबुलेंस तो छोड़िये सालों पहले करोड़ों के खर्च से बने लैब बेकार पड़े हैं. वहीं सरकार का दावा है कि उसने लगभग 200 फीसद सॉयल हेल्थ कार्ड (Soil Health Card) बना दिये. जरा सोचिए आपका एटीएम क्या किसी काम का होगा जब बैंक में पैसे ही ना हो. राज्य के 313 विकासखंडों में 150 करोड़ रु से ज्यादा खर्च कर बनाए 263 मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं धूल खा रही हैं.

MP News: NDTV ग्राउंड रिपोर्ट Soil Testing Lab

MP News: NDTV ग्राउंड रिपोर्ट Soil Testing Lab
Photo Credit: Ajay Kumar Patel

2015 में केन्द्र सरकार ने मिट्टी की सेहत और उसमें जरूरी पोषक तत्वों की जांच के लिये सॉयल हेल्थ कार्ड बनाए, मिट्टी के परीक्षण के लिये मध्यप्रदेश में 250 से अधिक लैब बनी.

देखिये क्या हाल हैं?

1. अशोकनगर

अशोकनगर में मिट्टी परीक्षण के लिये आई मशीनें 2020 से ब्लॉक मुख्यालय में कृषि विभाग के दफ्तर में जस की तस पेटी पैक हैं, क्योंकि इन्हें चलाने के लिये कोई कर्मचारी ही नहीं. अशोकनगर जिले में एक लैब चालू है लेकिन मुंगावली, चन्देरी, ईशागढ़ में सब मिट्टी में. सालों पहले बने लैब टूटने लगे हैं, ऐसे में किसान पूछ रहे हैं सॉयल हेल्थ कार्ड किस काम के?

2. शिवपुरी

शिवपुरी में जिले की एकमात्र लैब है लेकिन स्टाफ की कमी से काम धीमा है. किसान कहते हैं पहले सैंपल नहीं लिया जाता, सैंपल ले भी लें तो रिपोर्ट नहीं मिलती. मिट्टी के लिए जरूरी हैं 18 से ज्यादा पोषक तत्व लेकिन लैब में जांच जाते हैं सिर्फ आठ तत्व. शिवपुरी जिले में 5 लाख से ज्यादा किसान हैं, मिट्टी जांचने एक कमरे की लैब जिसमें सैंपल भरे रखे हैं लेकिन उन्हें जांचने नाम मात्र के लिये स्टाफ की नियुक्ति हुई है.

3. खरगोन

खरगोन में 8 साल पहले 35 लाख की लागत से लैब बना, लेकिन ना संसाधन है ना स्टाफ. जर्जर हो रही बिल्डिंग की हालत देखकर आप अंदाजा लगा लीजिये कि यहां से मिट्टी को क्या इलाज मिलेगा.

4. छतरपुर

छतरपुर जिले के 7 ब्लाकों में मिट्टी परीक्षण के लैब बनकर तैयार हैं, बस पूरी तरह खुले नहीं हैं. वजह वही टेक्नीशियन और कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं है.

5. सीहोर

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के कृषिमंत्री का जिला सीहोर यहां 1.20 करोड़ से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला बनी बस किसानों के किसी काम की नहीं. कई ब्लॉकों में ताला लगा है जो खुला है वो जिला मुख्यालय का लैब इछावर, आष्टा, भैरूंदा और बुदनी के मंडी प्रांगण में तो ये लैब शो-पीस हैं. वजह वही स्टाफ नहीं. हर प्रयोगशाला में कम से कम 10 लोगों का स्टाफ जरूरी है, लेकिन यहां लैब टेक्नीशियन तक नहीं है.

6. उमरिया

उमरिया में डेढ़ लाख से अधिक किसान परिवार हैं, करीब 1 लाख खरीफ का और  60 हजार रबी की फसलों का रकबा है. मिट्टी परीक्षण के लिए उमरिया पाली और मानपुर में लैब बने उमरिया में चालू है दूसरी बंद है.

7. शहडोल

शहडोल जिला मुख्यालय में लैब है, जरूरी सामान भी है. बस 7 लोगों का स्टाफ स्वीकृत हैं, सिर्फ 2 हैं. एक मृदा प्रभारी और लैब टेक्नीशियन. साल भर में 12,000 सैंपल जांचने का लक्ष्य है, हुए हैं सिर्फ डेढ़ हजार.

8. टीकमगढ़

टीकमगढ़ में 2 लाख किसानों के खेतों की मिट्टी जांचने हर ब्लॉक में लैब बना, लेकिन किसान कहते हैं एक तो स्टाफ कम है, जो हैं वो वक्त पर बैठते नहीं.

9. श्योपुर

श्योपुर जिला मुख्यालय में लैब है, जहां एक लैब टेक्निशियन लैब के साथ विभाग के प्रशासनिक काम भी देखते हैं. जिले के विजयपुर और कराहल में लाखों की बिल्डिंग में ताला पड़ा है, करीब पांच लाख की आबादी वाले जिले में सिर्फ जिला मुख्यालय में जांच हो रही है वो भी सिर्फ कहने के लिये. 

10. मैहर

मैहर जिले के तीनों ब्लॉक मुख्यालयों मैहर, अमरपाटन और रामनगर में मिट्टी परीक्षण लैब में ताला जड़ा है, खुला भी रहता तो क्या ही होता. यहां ना मशीन है, ना स्टाफ है.

 मिट्टी की बात यूं ही नहीं निकली

सरकार का दावा है है कि राज्य में मिट्टी की सेहत जांचने 6,31,437 स्वाइल हेल्थ कार्ड का लक्ष्य था, उसने बना दिये 11,89,505 यानी 188.38 प्रतिशत ज्यादा. हमें जमीनी हकीकत मालूम थी, इसलिये सरकार से सीधा सवाल पूछ लिया. NDTV के सवाल पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि जांच करवा लेंगे.

वैसे केन्द्र सरकार के ही आंकड़े कहते हैं कि

⇒ मध्यप्रदेश में 2023-24 में  1246700 टेस्ट होने थे.

⇒ 558489 सैंपल इकठ्ठा हुए

⇒ 260484 टेस्ट पूरे हुए

मिट्टी की एक इंच परत बनने में कई सौ साल लगता है, हमारा भोजन मिट्टी से ही बनता है, लेकिन उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग और खेती के गलत तरीके ने हमारी थाली खराब कर दी है, यूरिया से नाइट्रोजन साइकिल प्रभावित हुआ है, सरकार उर्वरकों पर लाखों करोड़ों की सब्सिडी देती है लेकिन दुर्भाग्य देखिये किसानों को ये तक नहीं पता कि उनकी मिट्टी किस तत्व से पोषक बनेगा यानी इस लापरवाही से हमारा, आपका, किसानों का और देश का पूरा नुकसान होगा.

ऐसी है हमारी मिट्‌टी की हालत

पहले देश की मिट्टी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की कमी थी, 90 के दशक में पोटैशियम और सल्फर अब हमारी मिट्टी में जिंक और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की बहुत कमी है. लेकिन शायद ही किसी किसान को पता लग पाता है कि आखिर उसकी मिट्टी में कमी है तो क्या?

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