Wheat Price: गेहूं की बढ़ती कीमतों (Wheat Price Hike) को और कालाबाजारी (Wheat Black Marketing) को लेकर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस (Congress) कमेटी फ्रंट फुट पर आकर खेलने के मूड में है. MP प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष (President, MP Congress) जीतू पटवारी (Jitu Patwari) ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री (Madhya Pradesh Chief Minister) डॉ मोहन यादव (Dr Mohan Yadav), PMO (Prime Minister Office) समेत नए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को अपने सोशल मीडिया पोस्ट में टैग करके पिछले एक साल और विगत 15 दिनों में बढ़ी हुई गेहूं की कीमतों को लेकर जवाब मांगा है.
देखिए MP कांग्रेस अध्यक्ष ने क्या कहा?
• गेहूं एक साल में 8% महंगा हुआ है! पिछले 15 दिन में ही कीमतें 7% बढ़ चुकी हैं, जो अगले 15 दिन में 7% और बढ़ सकती हैं!
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) June 13, 2024
• दरअसल, गेहूं के सरकारी भंडारों में हर वक्त तीन महीने का स्टॉक (138 लाख टन) होना चाहिए। मगर इस बार खरीद सत्र शुरू होने से पहले यह सिर्फ 75 लाख टन था!
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जीतू पटवारी ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि गेहूं एक साल में 8% महंगा हुआ है. पिछले 15 दिन में ही कीमतें 7% बढ़ चुकी हैं, जो अगले 15 दिन में 7% और बढ़ सकती हैं. दरअसल, गेहूं के सरकारी भंडारों में हर वक्त तीन महीने का स्टॉक (138 लाख टन) होना चाहिए. मगर इस बार खरीद सत्र शुरू होने से पहले यह सिर्फ 75 लाख टन था.
बाजार में गेहूं 2600-2700 रु. क्विंटल है. ऐसे में 15 दिन में दाम ₹3 बढ़ सकते हैं. महंगा गेहूं खरीदकर बना आटा 30-31 रु. किलो ही बेचना पड़ेगा. अभी यह 28 रु. है.
CM मोहन यादव से ये कहा-
पटवारी ने आगे लिखा कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी, कृषि विशेषज्ञों का मानना है गेहूं के फसल चक्र के दौरान कोहरे/हवा के कारण इसकी प्रति एकड़ उत्पादकता 5 क्विंटल तक कम हो गई है. दूसरा सबसे बड़ा दोष मध्यप्रदेश का है. अपने यहां अभी तक पिछली बार से करीब 22.67 लाख टन कम खरीद हुई है. अब तो देश भी जानना चाहता है कि ऐसा क्यों हुआ?
PMO और शिवराज सिंह को भी किया Tag
अंत में जीतू पटवारी ने लिखा है कि बीते विधानसभा चुनाव में 2700 रुपए प्रति क्विंटल के वादे को 'मोदी की गारंटी' बताने के बावजूद किसानों को धोखा दिया गया. इसीलिए सरकार के बयान से ज्यादा किसानों ने बाजार पर भरोसा कर लिया. मुनाफे की नीति पर चलने वाला बाजार अब अपनी शर्तों पर गेहूं और आटे की कीमत तय करेगा और इसका सबसे बड़ा खामियाजा देश की गरीब जनता को भुगतना पड़ेगा. गेहूं के जरिए आए महंगाई के इस नए संकट के लिए सबसे ज्यादा आपकी सरकार और उसके वादाखिलाफी जिम्मेदार है. अभी भी समय है! किसानों से माफी मांगे और उन्हें बकाया भुगतान कर दें.
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