Harda Factory Blast : खतरनाक पटाखों से हुए हरदा के हादसे के मद्देनजर शासन को सख्त नीति बनाकर स्टेन्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तय करने चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. इन उद्योगों और आवासीय क्षेत्रों के बीच 500 से 1000 मीटर का बफर जोन होना चाहिए. एन.जी.टी. के पास पूर्व में जमा किए गए 20 लाख रुपए को हरदा हादसे के पीड़ितों पर खर्च किया जाए. इस बाबत पर्यावरण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, रेवेन्यू और शहरी विकास के प्रमुख सचिवों की कमेटी खर्च की जिम्मेदारी लेगी. इन पर 3 हफ्ते के भीतर एक्शन प्लान बनाकर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए. यह आदेश जस्टिस शिव कुमार सिंह और एक्सपर्ट मेम्बर डॉ. अफरोज अहमद ने डॉ. पी.जी. नाजपांडे और रजत भार्गव की नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर अवमानना याचिका पर जारी किया है.
याचिकाकर्ताओं के एडवोकेट प्रभात यादव ने दलिल दी कि सुप्रीम कोर्ट ने खतरनाक पटाखों पर अंडरटेकिंग और टेस्टिंग के आदेश दिए थे. अगर इन आदेशों का पालन किया जाता तो आज हरदा का हादसा नहीं होता.
प्रभात यादव ने कोर्ट को बताया कि पटाखों में खतरनाक रासायनिक तत्व होते हैं. उनका विक्रय सेल और संग्रहण के आदेश का पूर्णता परिपालन मध्य प्रदेश में नहीं किया गया. इसके परिणामस्वरूप हरदा जैसी घटना हुई.
रेजिडेंशियल इलाकों की दूरी कम से कम 500 मीटर से 1000 मीटर तक होनी चाहिए और वहां सीसीटीवी कैमरों का इंस्टॉलेशन होना चाहिए और किसी भी प्रकार के प्रतिबंधित पटाखों का विक्रय और संग्रहण नहीं होना चाहिए. तीन हफ्ते के अंदर वर्तमान स्टेटस रिपोर्ट एनजीटी में प्रस्तुत करें. अब इस मामले की अगली सुनवाई एनजीटी में 6 मार्च 2024 को हरदा वाले प्रकरण के साथी रखी है.
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एनजीटी ने व्यक्त की चिंता
याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता पी जी नाजपांडे ने एनडीटीवी को बताया कि मेरी याचिका पर माननीय एनजीटी ने बहुत अच्छे आदेश देते हुए कहा था कि जो खतरनाक पटाखे हैं उन पर आप अंडरटेकिंग लीजिए और टेस्टिंग के बाद ही उनके इस्तेमाल का आदेश दीजिए लेकिन इस आदेश का पालन सरकार ने नहीं किया जिसके कारण इतना बड़ा हादसा हो गया. स्वयं एनजीटी ने बहुत चिंता और नाराजगी व्यक्त की है.
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6 मार्च को होगी सुनवाई
एन. जी. टी. के जस्टिस शिवकुमार सिंह और एक्सपर्ट मेम्बर डॉ. अफरोज अहमद ने इस दलील पर सहमति जताते हुए यह याचिका हरदा के हादसे पर सुमोटो याचिका के साथ जोड़ी. एन. जी. टी. ने अपने आदेश में हरदा सरीखे हादसों पर पूर्ण नियंत्रण करने हेतु 26 कदमों का विस्तृत विवरण दिया है और उन्हें पालन करने के सख्त निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 6 मार्च को तय की. जस्टिस शिवकुमार सिंह और एक्सपर्ट मेम्बर डॉ. अफरोज अहमद ने स्पष्ट किया कि समारोह या उत्सव के नाम पर प्रतिबंधित और खतरनाक पटाखों की अनुमति नहीं दी जा सकती है. किसी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है.