
Madhya Pradesh Highcourt: प्रदेश हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक निर्णय को नजीर मानते हुए एक मामले में व्यवस्था दी कि शासकीय सेवा में लंबी सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत हुए तृतीय (C) और चतुर्थ (D) श्रेणी कर्मचारियों से रिटायरमेंट के बाद रिकवरी नहीं की जा सकेगी.
जस्टिस विवेक अग्रवाल (Justice Vivek Agrwal) की एकलपीठ में एक शासकीय सेवा से रिटायर्ड ड्राइवर ने अपील की थी कि उसकी सेवा निवृत्ति के बाद सरकार की ओर से रिकवरी की जा रही है, जो नियम विरुद्ध है. उच्च न्यायालय ने ड्राइवर की याचिका को उचित मानते हुए रिकवरी आदेश निरस्त कर दिया.
यह मामला यह है
याचिकाकर्ता छिंदवाड़ा निवासी रमेश खुरसांगे नगर पालिका परिषद मैहर से ड्राइवर के पद से सेवानिवृत्त हुआ है. उनके रिटायरमेंट के बाद विभाग ने गलत वेतन गणना का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता पर 84 हजार 775 रुपए की रिकवरी निकाल दी. विभाग का यह मानना था कि यह रकम ड्राइवर को अतिरिक्त दी गई है, जो अब उस से वापस ली जानी चाहिए. यह रिकवरी जुलाई 2007 से सेवानिवृत्ति तक की निकाली गई थी, जिसका सेवानिवृत ड्राइवर ने विरोध किया था. लेकिन नगर पालिका प्रशासन अपने फैसले पर अड़ा रहा. इसके बाद ड्राइवर ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर राशि की रिकवरी पर रोक लगाने की मांग की थी.
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ये दलील आई काम
याचिकाकर्ता रमेश खुरसांगे की ओर से अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा और शिवम शर्मा ने कोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि विभाग में प्रत्येक वर्ष ऑडिट होता है, ऐसे में संबंधित अधिकारी यह नहीं बता पा रही है कि कैसे वेतन गणना में त्रुटि हुई. दोनों वकीलों की ओर से यह दलील भी दी गई सुप्रीम कोर्ट ने थॉमस डेनियल के मामले में यह प्रावधान दिया है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों से रिकवरी नहीं की जा सकती, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए रिटायर्ड ड्राइवर को देनदारी से मुक्त कर दिया.
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