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हरदा ब्लास्ट से पहले के वो 60 सेकंड, जब लोगों को नहीं था आने वाली 'मौत' का अंदाज़ा 

हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके में 12 लोगों की जान चली गई जबकि सैकड़ों की तादाद में घायलों का इलाज चल रहा है. बिखरी हुईं लाशें, उजड़े घर, चारों तरफ बिखरा मलबा और बदहवास भागते लोग... जब धमाका हुआ तो लोगों ने इसके वीडियो बना लिया जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए... लेकिन इन सब के बीच हरदा हादसे से जुड़ा एक और वीडियो वायरल हो रहा है. ये वीडियो धमाके से ठीक एक मिनट पहले का बताया जा रहा है.

हरदा ब्लास्ट से पहले के वो 60 सेकंड, जब लोगों को नहीं था आने वाली 'मौत' का अंदाज़ा 
हरदा ब्लास्ट से पहले के वो 60 सेकंड, जब लोगों को नहीं था आने वाली 'मौत" का अंदाज़ा

हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके में 12 लोगों की जान चली गई जबकि सैकड़ों की तादाद में घायलों का इलाज चल रहा है. बिखरी हुईं लाशें, उजड़े घर, चारों तरफ बिखरा मलबा और बदहवास भागते लोग... यही हरदा हादसे का मंजर था. धमाका कितना भयानक था... इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि हरदा से करीब 40 किलोमीटर दूर तक की धरती कांप उठी थी. जब धमाका हुआ तो लोगों ने इसके वीडियो बना लिया जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए... लेकिन इन सब के बीच हरदा हादसे से जुड़ा एक और वीडियो वायरल हो रहा है. ये वीडियो धमाके से ठीक एक मिनट पहले का बताया जा रहा है.

हरदा धमाके से ठीक पहले का वीडियो आया सामने 

जब पटाखा कारखाने में आग सुलग रही थी तो आस-पास हवा का एक गुबार उठा. लगातार काले धुएं को उठता देख... ये तो अंदाजा हो गया था कि कहीं आग लगी है. धुएं को देख कर लोग वहां से हटने की कोशिश कर रहे थे. इसी बीच कुछ लोगों ने अपने हाथों में मौजूद फोन के कैमरे को खोला और हल्के-हल्के उठ रहे धुएं का वीडियो बनाने लगे. ये सब कुछ सेकंडों में हो रहा था. आस-पास सड़क पर चल रहे लोगों को ज़रा भी अहसास नहीं था कि अगले ही पल कितनी बड़ी त्रासदी होने वाली है... क्योंकि अगर पता होता तो शायद ही किसी का कोई अपना बिछड़ता और शायद ही किसी पर ज़ुल्मों-सितम की घड़ी आती. हादसे से ठीक कुछ सेकंड पहले, जब आग का गुबार फ़ैल रहा था... तब वहां पर मौजूद लोगों को खतरे का एहसास होने लगा... तभी एक आवाज़ आई, "भागो, रे आग लग गई..." , आवाज़ सुनते ही अफरा-तफरी मच गई.

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आग के गोले को अपनी तरफ आता देख मची अफरा-तफरी 

इससे पहले कोई कुछ समझ पाता, इस बीच दूर हवा में उठ रहा धुआं आग के विशालकाय गोले में तब्दील हो गया. आग के गोले को अपनी तरफ आता देख आस-पास मौजूद लोगों का कलेजा मुंह को आ गया था. आंखों के सामने मौत को अपनी तरफ आता देख... हर कोई जान बचाने की जद्दोजहद में लग गया.आखिरी सांस की लड़ाई में लोग हांफते हुए इधर-उधर दौड़ने लगे. लड़खड़ाते हुए लोगों के कदम उस रफ्तार से आगे की ओर बढ़ रहे थे जैसे अब ये कहीं पर नहीं रुकेंगे. भागते हुए लोगों के चेहरों पर 'मौत का डर' साफ़ नज़र आ रहा था.सड़क पर गाड़ी और बाइक सवार भी मौजूद थे... उन्होंने अपनी रफ्तार बढ़ाने की कोशिश तो की लेकिन जाम के चलते गाड़ियां सड़क पर रुकी रही. इस समय तक करीब 45-50 सेकंड और बीत चुके थे... यही वो पल था जब एक दम से बड़ा धमाका हुआ. हादसे की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि दूर-दूर तक ज़मीन हिलने लगी. भाग रहे लोगों पर आसमान से आग के गोले बरसने लगे. ये खौफनाक नज़ारा किसी बम धमाके से कम नहीं था. 

यहां देखिए हादसे से ठीक एक मिनट पहला का मंज़र 

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हादसे को देखने वालों की कांपी रूह, याद आया गैस कांड 

आग की ऊंची-ऊंची लपटें और हवा का गुबार लगातार लोगों को दूर धकेल रही थी. इस बीच जो भाग पाया उसने तो जैसे-तैसे अपनी जान बचा ली... लेकिन जो नहीं भाग पाए वो ज़िंदा ही मौत के मुंह में समा गए. हर तरफ चीख-चीत्कार के बीच सड़कों पर लाशों का ढेर लग गया. उनमें से जो ज़िंदा से उनके कुछ हिस्से इधर-उधर हो गए...दर्द से कराहते लोगों को कहीं से मदद की उम्मीद थी. तबाही के चश्मदीदों के मानें तो हादसे को देखने वालों की रूह कांप गई. जिस शख्स ने इस वीडियो को रिकॉर्ड किया करीब 1 मिनट बाद उसका भी फोन भी कहीं गिर गया. हरदा में हुए इस भीषण ब्लास्ट से भोपाल गैस त्रासदी के ज़ख्म भी ताज़ा हो उठे.  2 दिसंबर 1984 की सर्द रात को हुए भोपाल गैस त्रासदी में भी कुछ ऐसा ही डरावना दृश्य देखने को मिला था. जब कार्बाइड फैक्ट्री से निकली जहरीली गैस से हजारों लोग मौत के मुंह में समा गए थे. 

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"ये तो होना ही था..." रोते हुए में महिला ने बयां किया दर्द 

 इस हादसे की आग में अपने माता-पिता को खोने वाली एक महिला ने अपना दर्द बयां किया. महिला ने कहा, "इस तरह की फैक्ट्री को ऐसी जगह नहीं खोलना चाहिए, जहां पर इतने लोग रहते हो....ये त्रासदी तो होनी ही थी." महिला के शब्दों के पीछे छिपी हुई तकलीफ अनायास ही जाहिर हो रही है. महिला ने इस हादसे के लिए सरकार और कारखाने के मालिक को जिम्मेदार ठहराया. विस्फोट के बाद पटाखा कारखाना मलबे में तब्दील हो गया. चारों तरफ दूर दूर तक शवों के टुकड़े बिखर गए, घर के घर मलबे में तब्दील हो गए. विस्फोट स्थल से लगभग 50 फुट दूर एक जला हुआ और पलटा हुआ ट्रक पड़ा देखा गया. हादसे में अपनी मां और पिता को खोने वाली नेहा ने PTI-भाषा को रुंधी आवाज में बताया, ''कारखाने और गोदाम को बढ़ाने का काम चल रहा था. यह तो होना ही था.'' उसका परिवार कारखाने के आसपास ही रहता था. नेहा ने कहा कि ऐसी घटना पहले भी हुई थी लेकिन अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. इस हादसे में उसका घर भी जल गया.

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'मैं इस घटना के लिए सरकार और कारखाना मालिक को जिम्मेदार मानती हूं. उन्हें आबादी वाले इलाके में कारखाना नहीं चलाना चाहिए था. पहले भी लोग मरे हैं लेकिन सरकार ने इजाजत दे दी... जैसे ही कारखाना मालिक पैसा जमा कराते हैं, सरकार कारखाने को फिर से खोल देती है. ये सब क्या होता है?' - ब्लास्ट में अपने माता-पिता को खोने वाली नेहा 


"जैसे ही धमाका हुआ.... आग के गोले बरसने लगे"

एक दूसरे स्थानीय निवासी अमरदास सैनी अपने घर पर थे जब सुबह करीब 11 बजे पहला विस्फोट हुआ. उन्होंने कहा, 'जब पहला विस्फोट हुआ तब मैं घर पर था. मेरी पत्नी खाना बना रही थी. हम धमाकों के बीच भागे, बजरी, कंक्रीट के टुकड़े और आग के गोले हम पर गिर रहे थे. सड़क से गुजर रही कई मोटरसाइकिलें बुरी तरह प्रभावित हुईं. इस घटना में कई लोगों के शरीर के हिस्से क्षत विक्षत होकर यहां वहां बिखर गए. कारखाने के आसपास करीब 40 घर हैं. सैनी ने दावा किया की हम पिछले 25 वर्षों से इलाके में रह रहे हैं. हमने कलेक्टर को (कारखाना हटाने के लिए) कई आवेदन दिए हैं, लेकिन किसी ने हमारी एक नहीं सुनी.'

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"मैंने सड़क पर रात बिताई, मेरे पास अब बचा ही क्या है?"

इस कड़कड़ाती ठंड में एक और महिला ने सड़क पर रात बिताई क्योंकि घटना में उसका ठिकाना (घर) उजड़ गया. इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि उन्होंने इलाके से पटाखा फैक्ट्री को हटाने की मांग भी की गई थी लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. हरदा शहर के मगरधा रोड पर बैरागढ़ इलाके में करीब 200 से ज़्यादा लोग पटाखे बनाने के काम में लगे हुए थे. मंगलवार सुबह करीब 11 बजे लोगों ने कारखाने में पहला विस्फोट सुना. कारखाने के आसपास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई क्योंकि लोग भागने लगे और सुरक्षित जगह पर पहुंचने की कोशिश करने लगे. 

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