
जबलपुर जिले में शहपुरा तहसील के पथरिया गांव में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जा रही मूंग खरीदी में बड़ा घोटाला सामने आया है. गांव के 55 किसानों की जमीनों पर फर्जी सिकमीनामा तैयार कर उनके नाम से मूंग का पंजीयन कराया गया और एमएलटी वेयरहाउस खरीदी केंद्र से करोड़ों रुपये का भुगतान उठा लिया.
भारतीय किसान संघ (BKU) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटैल और संभाग उपाध्यक्ष दामोदर पटैल ने आरोप लगाया कि फर्जी सिकमीनामों के आधार पर बिना सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के पंजीयन संभव नहीं था. उनका कहना है कि सिकमीनामा बनने के बाद पंजीयन के समय एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी जैसे अधिकारियों द्वारा सत्यापन अनिवार्य होता है.
कैसे खुला घोटाला
गांव के किसानों ने बताया कि जब वे शहपुरा डबल लॉक सरकारी गोदाम पर खाद लेने पहुंचे तो कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि उनकी जमीन की खाद पहले ही कोई और ले गया है. जांच करने पर पता चला कि 55 किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन पर फर्जी सिकमीनामा बनाकर मूंग का ऑनलाइन पंजीयन कराया गया है.
क्या है सिकमीनामा
सामान्यतः अपनी जमीन किसी अन्य किसान को कुछ वर्षों या किसी सीजन के लिए किराए पर देने की दस्तावेजी कारण को कहा जाता है.
किसानों के अधिकार पर चोट
किसानों का कहना है कि इस घोटाले से उनका एमएसपी पर फसल बेचने का अधिकार छिन गया है. मजबूरन उन्हें मूंग कम दाम पर बाजार में बेचना पड़ी. किसान संघ का कहना है कि अगर ये फर्जी सिकमीनामे रद्द नहीं हुए तो आगे किसानों के लिए एमएसपी पर खरीदी असंभव हो जाएगी.
शिकायत और आंदोलन की तैयारी
पथरिया गांव के किसानों ने भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में इस घोटाले की शिकायत शहपुरा एसडीएम और बेलखेड़ा थाने में दर्ज कराई है, लेकिन संतोषजनक कार्रवाई न होने पर किसान जिला मुख्यालय पर बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं.
प्रशासन ने शुरू की जांच
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने एनडीटीवी से कहा कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है. उनके अनुसार खरीदी केंद्र पर करीब 17 करोड़ रुपये का भुगतान अभी लंबित है. “अब तक 2 करोड़ का भुगतान हुआ है. सभी पंजीयनों का वेरिफिकेशन और जांच पूरी होने के बाद ही भुगतान किया जाएगा.”