
Pandhurna Gotmar Mela History: विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेला (Pandhurna Gotmar Mela) का आयोजन पांढुर्णा में 23 अगस्त को किया गया है, जहां गोटमार खेला जाएगा. यहां से बहने वाली जाम नदी के पांढुर्णा और सावरगांव के संगम पर सदियों से चली आ रही गोटमार खेलने की परंपरा को निभाते हुए लोग फिर एक-दूसरे पर पत्थर बरसाएंगे. पोला पर्व के दूसरे दिन लगने वाले गोटमार मेले पर भले ही लोग लहूलुहान होंगे और शरीर से खून की धाराएं बहेगी, लेकिन दर्द को भूलकर पूरे जोश और उमंग के साथ परंपरा निभाई जाएगी.
विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले का आज आयोजन
गोटमार मेले पर मेले की आराध्य देवी चंडिका के मंदिर में हजारों भक्त जुटेंगे और पूजा के साथ मां के चरणों में माथा टेकेंगे. मां चंडिका के दर्शन के बाद ही गोटमार खेलने वाले खिलाड़ी मेले में हिस्सा लेंगे.
600 पुलिस बल रहेंगे मौजूद
मेले की सुरक्षा व्यवस्था के लिए छिंदवाड़ा, बैतूल, सिवनी, नरसिंहपुर और पांढुर्णा से कुल 600 पुलिस बल तैनात किया जाएगा. थाना प्रभारी अजय मरकाम के अनुसार, 47 पुलिस पॉइंट बनाए गए हैं. सभी पुलिस कर्मी गूगल लोकेशन के आधार पर अपनी ड्यूटी संभालेंगे.
45 डॉक्टर और 200 स्वास्थ्यकर्मी रहेंगे तैनात
पूरे गोटमार मेले की सीसीटीवी के साथ ड्रोन कैमरे से निगरानी की जाएगी. इसके अलावा 11 जगह नाकाबंदी की गई है. गश्ती दल दिन भर प्रभावी गश्त करेंगे. स्वास्थ्य विभाग ने 45 डॉक्टर तैनात किए हैं. वहीं उनकी मदद के लिए 200 स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहेंगे. घायलों को मरहम लगाएंगे, जबकि गंभीर घायलों के लिए 16 एम्बुलेंस तैनात की गई है.
जानिए विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले का इतिहास
विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले की परंपरा निभाने के पीछे कई कहानियां जुड़ी हैं. जिसके अनुसार जाम नदी के बीचो-बीच झंडेरूपी पलाश के पेड़ को गाड़कर मेले की परंपरा निभाई जाती है और पत्थरबाजी का खेल खेला जाता है. एक प्रचलित कहानी के अनुसार पांढुर्णा के युवक और सावरगांव की युवती के बीच प्रेम संबंध थे. प्रेमी युवक ने सावरगांव पहुंचकर युवती को भगाकर पांढुर्णा लाना चाहा, लेकिन दोनों के जाम नदी के बीच पहुंचते ही सावरगांव में खबर फैल गई. प्रेमी युगल को रोकने के लिए सावरगांव के लोगों ने पत्थर बरसाएं. वहीं जवाब में पांढुर्णा के लोगों ने भी पत्थर बरसाए. इस पत्थरबाजी में प्रेमी युगल की तो मौत हो गई. हालांकि इसके बाद यहां गोटमार मेले की परंपरा शुरू हुई.
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