
Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश के उज्जैन में शनिवार को शनिचरी अमावस्या के मौके पर श्रद्धालु त्रिवेणी घाट पहुंचे और फव्वारे में स्नान कर नवग्रह मंदिर के दर्शन किए. इस दौरान श्रद्धालुओं ने परंपरा अनुसार पहने हुए जूते,चप्पल, कपड़े छोड़े और अन्य सामग्री भी दान की.
घाट पर 12 बजे से पहुंचने लगे थे श्रद्धालु
शनिश्चरी अमावस्या पर क्षिप्रा नदी में नहान कर दान पुण्य की मान्यता के चलते रात 12 बजे बाद से ही श्रद्धालु त्रिवेणी घाट पर पहुंचने लगे थे. लेकिन नदी में पानी अधिक होने के कारण प्रशासन ने नदी में उतरने पर रोक लगाते हुए घाट पर फव्वारे लगा दिए. नतीजतन श्रद्धालुओं ने फव्वारे में स्नान के बाद पुराने कपड़े ओर जूते चप्पल त्यागे फिर शनि देव का पूजन कर दान पुण्य किया.
शनिचरी अमावस्या को नव ग्रह शनि मंदिर को फूलों से सजाया गया था. शनि महाराज को राजा के रूप में पगड़ी पहनाकर आकर्षक श्रृंगार किया. पर्व को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के भी भुगतान इंतजाम किए है.
जूते-चप्पल,कपड़े की नीलामी नहीं
शनिचर अमावस्या पर श्रद्धालु स्नान के बाद अपने जूते,चप्पल और कपड़े दान स्वरूप वहीं छोड़कर जाते हैं. अमावस्या पर देश भर से आए श्रद्धालुओं ने भी त्रिवेणी घाट पर पनोती समझे जाने वाले जूतों और कपड़ों का ढेर लगा दिया. हालांकि दान स्वरूप छोड़े गए जूते चप्पल और कपड़ों की प्रशासन द्वारा नीलामी की जाती थी, लेकिन प्रशासन ने नीलामी नहीं करने का निर्णय लिया है.
शनि पूजन से विशेष लाभ
शनि मंदिर के पंडित राकेश बैरागी ने बताया की देर रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ आना शुरू हो गई थी. अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किया जाता है. इस दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है. शनिवार के दिन अमावस्या की तिथि पड़ने के कारण इस दिन शनि देव की पूजा करने से विशेष शांति होती है.
जिन लोगों पर शनि की साढ़े साती चल रही और पितृ दोष, काल सर्प योग ,अशुभ गृह योग सहित अन्य कठनाई चल रही हो। इस दिन शनिदेव की पूजा से लाभ मिलता है.
राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था मंदिर
माना जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य के ऊपर साडेसाती लगी थी तब उन्होंने पूजन कर त्रिवेणी पर नवग्रह मंदिर बनाकर शनि भगवान की स्थापना की थी. तभी से शनिवार ओर शनिचरी अमावस्या पर श्रद्धालु यहां पर बड़ी संख्या में आकर पूजन कर दान पूर्ण करते हैं. जिससे उनके ऊपर से शनि का प्रभाव खत्म हो जाता है.