अब अधिवक्ता बनना पहले से ज्यादा कठिन हो गया है, क्योंकि एमपी स्टेट बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं के नामांकन से संबंधित नियमों में कसावट कर दी है. यह बदलाव सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत किया गया है, जिसका पालन करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 25 सितंबर को नई अधिसूचना जारी की है. इस अधिसूचना के अंतर्गत विधि महाविद्यालयों और अधिवक्ता बनने के इच्छुक लोगों के लिए कुछ नए दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं, जिनका पालन अनिवार्य होगा.
वकील बनने से पहले देना होगा आपराधिक रिकॉर्ड
इन नए नियमों के तहत सबसे बड़ा बदलाव यह है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले विधि स्नातकों को अब अधिवक्ता के रूप में नामांकित नहीं किया जाएगा. इसका मतलब है कि किसी भी विधि स्नातक को वकील बनने के लिए अपने आपराधिक रिकॉर्ड को साफ रखना होगा.
पुलिस वेरिफिकेशन अब हो गया अनिवार्य
स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन राधेलाल गुप्ता और वाइस चेयरमैन आरके सिंह सैनी ने बताया कि अब अधिवक्ता बनने के लिए आवेदन करने वालों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है. यदि किसी आवेदक के खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित पाया गया तो उसकी पूरी जानकारी दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत करनी होगी.
शैक्षणिक दस्तावेजों की होगी बारीकी से जांच
इसके अलावा विधि छात्रों की शैक्षणिक उपस्थिति को भी अहमियत दी जा रही है. सभी विधि महाविद्यालयों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस को अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र नियमित रूप से अपनी पढ़ाई में उपस्थित रहे हैं. इसके साथ ही आवेदकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की भी बारीकी से जांच की जाएगी ताकि कोई फर्जी दस्तावेज के आधार पर वकील न बन सके. यह सभी नए दिशा-निर्देश इस बात को ध्यान में रखते हुए लागू किए गए हैं कि वकालत जैसे नोबल प्रोफेशन में गुणवत्ता बनी रहे और केवल योग्य उम्मीदवारों को ही इस पेशे में प्रवेश मिले. इन सख्त नियमों के कारण अब अधिवक्ता बनने की प्रक्रिया अधिक कठिन और जांचपूर्ण हो गई है, जिससे समाज में वकीलों की प्रतिष्ठा और इस पेशे की गुणवत्ता दोनों बनी रहेंगी.
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