
UNESCO World Heritage Sites in MP: मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों (Heritage Sites) को वैश्विक पहचान मिल रही है. प्रदेश की 18 यूनेस्को विश्व धरोहर (UNESCO World Heritage Sites) में 15 टेंटेटिव और 3 स्थाई सूची में शामिल हैं. इस बारे में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) के नेतृत्व में मध्यप्रदेश की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहरों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है. प्रदेश के लिए अत्यंत गर्व और हर्ष का विषय है कि यूनेस्को ने प्रदेश की चार ऐतिहासिक धरोहरों को सीरियल नॉमिनेशन के तहत टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया है. सम्राट अशोक के शिलालेख, चौसठ योगिनी मंदिर, गुप्तकालीन मंदिर और बुंदेला शासकों के महल और किलो को यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में घोषित होना प्रमाणित करता है कि मध्यप्रदेश अपनी सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के कारण देश में विशेष स्थान रखता है.
पिछले साल 6 धरोहरों को मिली पहचान
पिछले वर्ष भी यूनेस्को ने प्रदेश की 6 धरोहरों, ग्वालियर किला, बुरहानपुर का खुनी भंडारा, चंबल घाटी के शैल कला स्थल, भोजपुर का भोजेश्वर महादेव मंदिर, मंडला स्थित रामनगर के गोंड स्मारक और धमनार का ऐतिहासिक समूह को टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया था.
वहीं यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में मांडू में स्मारकों का समूह, ओरछा का ऐतिहासिक समूह, नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और चंदेरी भी शामिल है. यह उपलब्धि हमारी धरोहरों के संरक्षण तथा संवर्धन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है.
सीएम ने टूरिज्म बोर्ड को दी बधाई
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इस मौके पर एमपी टूरिज्म बोर्ड, संस्कृति विभाग, पुरातत्वविदों, इतिहास प्रेमियो, संस्थाओं और प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई दी है जिन्होंने ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने में अमूल्य योगदान दिया हैं. उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि मध्यप्रदेश को विश्व पर्यटन मानचित्र पर एक नए आयाम तक पहुंचाएगी और हमारे गौरवशाली अतीत को नई पहचान दिलाएगी.
इस बार इन स्थानों को मिली वैश्विक पहचान
मौर्य कालीन अशोक के शिलालेख
मौर्य कालीन अशोक के शिलालेख स्थल भारत के प्राचीनतम लिखित अभिलेख हैं. इन शिला और स्तंभ लेखों में सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म, शासन और नैतिकता से संबंधित संदेश अंकित हैं, जो 2,200 से अधिक वर्षों से संरक्षित हैं. मध्य प्रदेश में पर्यटक साँची स्तंभ अभिलेख, जबलपुर में रूपनाथ लघु शिलालेख, दतिया में गुज्जरा लघु शिलालेख और सीहोर में पानगुरारिया लघु शिलालेख को शामिल किया गया हैं.
चौंसठ योगिनी मंदिर
प्रदेश में 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच निर्मित चौंसठ योगिनी मंदिर तांत्रिक परंपराओं का प्रतीक हैं. इन मंदिरों की गोलाकार, खुले आकाश के नीचे बनी संरचनाएँ, जटिल शिल्पकला और आध्यात्मिक महत्व अद्वितीय हैं. इसमें खजुराहो, मितावली (मुरैना), जबलपुर, बदोह (जबलपुर), हिंगलाजगढ़ (मंदसौर), शहडोल और नरेसर (मुरैना) के चौसठ योगिनी मंदिर को शामिल किया गया है.
उत्तर भारत के गुप्तकालीन मंदिर
प्रदेश में सांची, उदयगिरि (विदिशा), नचना (पन्ना), तिगवा (कटनी), भूमरा (सतना), सकोर (दमोह), देवरी (सागर) और पवाया (ग्वालियर) में स्थित गुप्तकालीन मंदिर को यूनेस्को द्वारा शामिल किया गया है. गुप्तकालीन मंदिर भारतीय मंदिर वास्तुकला में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाते हैं. मंदिर उत्कृष्ट नक्काशी, शिखर शैली और कलात्मक सौंदर्य को प्रदर्शित करते हैं.
बुंदेला काल के किला-महल
बुंदेला काल के गढ़कुंडार किला, राजा महल, जहाँगीर महल, दतिया महल और धुबेला महल, राजपूत और मुगल स्थापत्य कला के बेहतरीन संगम को दर्शाते हैं. ये महल बुंदेला शिल्पकला, सैन्य कुशलता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की अद्भुत मिसाल हैं.
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