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This Article is From Oct 17, 2024

Good News: यूनेस्को ने ओरछा को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के डोजियर को स्वीकारा, क्यों खास है ये साइट?

UNESCO World Heritage Site: भारतीय राजदूत विशाल वी शर्मा ने यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र के निदेशक लाजारे एलौंडौ असोमो को डोजियर सौंपते हुए कहा कि, विश्व धरोहर समिति की वर्ष 2027-2028 की बैठक में विचार के लिये मध्यप्रदेश में ओरछा के ऐतिहासिक समूह के नामांकन डोजियर प्रस्तुत करना बहुत सम्मान की बात है. यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा मिलने से ओरछा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल के रूप में मान्यता मिलेगी. आइए जानते है ओरछा की खासियत के बारे में.

Good News: यूनेस्को ने ओरछा को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के डोजियर को स्वीकारा, क्यों खास है ये साइट?

UNESCO World Heritage: यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर सूची (World Heritage List) में ओरछा (Orchha) के ऐतिहासिक समूह को नामांकित कराने के लिये मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा तैयार कराये गए डोजियर यानी संकलित डॉक्यूमेंट को केंद्र सरकार ने यूनेस्को की विश्व धरोहर कमेटी को सौंप दिया है. वर्ष 2027-28 के लिये केंद्र द्वारा ओरछा के ऐतिहासिक समूह को विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) घोषित करने की अनुशंसा की गई है. पेरिस स्थित यूनेस्को कार्यालय (UNESCO Office) में भारतीय राजदूत विशाल वी शर्मा ने यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र के डॉयरेक्टर लाजारे एलौंडौ असोमो को ओरछा का डोजियर सौंपा. यूनेस्को की आधिकारिक घोषणा के बाद ओरछा देश की ऐसी एकमात्र विश्व धरोहर स्थल होगा, जो राज्य द्वारा संरक्षित है. 

पिछले 5 वर्षों के प्रयासों से मिली सफलता

एमपी टूरिज्म बोर्ड (MP Tourism Board) द्वारा ओरछा और भेड़ाघाट को यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में शामिल कराने के लिए वर्ष 2019 एवं 2021 में प्रस्ताव तैयार कराया गया था. जिसको भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा योग्य मानते हुए यूनेस्को के विश्व धरोहर अनुभाग को अग्रेषित किया और फिर टेंटेटिव लिस्ट में सम्मिलित करने की घोषणा की गई थी. घोषणा के बाद टूरिज्म बोर्ड द्वारा विशेषज्ञ संस्थाओं के सहयोग से ओरछा, मांडू, भेड़ाघाट के डोजियर तैयार कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजा गया. संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने प्रारंभिक निरीक्षण कर ओरछा का डोजियर अनुशंसा कर यूनेस्को के विश्व धरोहर अनुभाग को सौंपा गया.

प्रमुख सचिव पर्य़टन एवं संस्कृति और प्रबंध संचालक एमपी टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के मार्गदर्शन में प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने और पर्यटकों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लगातार प्रयास किये जा रहे है. शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि ओरछा अपनी अद्वितीय स्थापत्य शैली और समृद्ध ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है. विश्व धरोहर सूची में नामांकित होने से ओरछा की ऐतिहासिक धरोहरों की वैश्विक पहचान को और मजबूती मिलेगी. साथ ही ओरछा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण केंद्र बनेगा.

MP में हैं समृद्ध विरासतें

हर साल केंद्र सरकार देश की एक धरोहर को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में नामांकित कराने के लिए यूनेस्को (यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाइजेशन) को अनुशंसा करती हैं. यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में प्रदेश के 14 स्थल शामिल है.

खजुराहों के मंदिर समूह, भीमबेटका की गुफाएं एवं सांची स्तूप यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल स्थायी सूची में शामिल है.

यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में ग्वालियर किला, बुरहानपुर का खूनी भंडारा, चंबल घाटी के शैल कला स्थल, भोजपुर का भोजेश्वर महादेव मंदिर, मंडला स्थित रामनगर के गोंड स्मारक, धमनार का ऐतिहासिक समूह, मांडू में स्मारकों का समूह, ओरछा का ऐतिहासिक समूह, नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और चंदेरी शामिल है.

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का स्थल है ओरछा

ओरछा बेतवा नदी के किनारे स्थित है, जो इसे प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करता है और आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक यात्रा के लिए आकर्षक बनाता है. बेतवा नदी के किनारे स्थित ओरछा की शाही छत्रियां बुंदेला राजाओं की स्मृति में बनवाई गईं और शाही वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण हैं. बुंदेला स्थापत्य शैली का अनुपम उदाहरण है ओरछा. ओरछा का स्थापत्य बुंदेला शासकों द्वारा विकसित किया गया था, जो अद्वितीय स्थापत्य शैली का प्रतीक है, जिसमें महलों, मंदिरों, और किलों का समावेश है. ओरछा का प्रसिद्ध जहांगीर महल, मुगल और राजपूत स्थापत्य का अनूठा संगम है. इसे मुगल सम्राट जहांगीर के स्वागत के लिए बनवाया गया था.

भारत में एकमात्र ऐसा मंदिर जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है. यह ओरछा की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है. चतुर्भुज मंदिर का विशाल और भव्य मंदिर अनूठी वास्तुकला की उत्कृष्ट मिसाल है. वहीं ओरछा का किला परिसर बुंदेलखंड क्षेत्र की शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक है, जिसमें महल, दरबार हॉल और अन्य ऐतिहासिक संरचनाएं शामिल हैं.

अमर महल और लक्ष्मी नारायण मंदिर में की गई भित्ति चित्रकारी और वास्तुकला बुंदेला शासकों की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक योगदान को दर्शाती है.

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