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Ujjain: महाकाल मंदिर की जमीन पर UDA ने काट दी कॉलोनी, कांग्रेस के 'पटवारी' ने उठाए ये सवाल

Ujjain Mahakal Mandir: महाकाल मंदिर की जमीन को लेकर घमासान मचा हुआ है. पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि उज्जैन में जमीन अधिग्रहण किए बिना सरकार खेतों पर काॅन्क्रीट का शहर खड़ा करना चाहती है. कांग्रेस किसानों की जमीन का अधिग्रहण नहीं होने देगी.

Ujjain: महाकाल मंदिर की जमीन पर UDA ने काट दी कॉलोनी, कांग्रेस के 'पटवारी' ने उठाए ये सवाल
Ujjain Mahakal Mandir:

Mahakal Mandir Ujjain: मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर (Mahakal Mandir) की 45 बीघा जमीन उज्जैन विकास प्राधिकरण (UDA) द्वारा बिना किसी को जानकारी दिए अधिग्रहित करने का मामला तूल पकड़ते जा रहा है. यूडीए द्वारा मंदिर की जमीन पर कालोनी काटने को लेकर अब कांग्रेस (Congress) ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है, वहीं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने को भी सफाई देनी पड़ी. कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने कहा है कि तानाशाही से किसान की जमीन हथियाने वाले गौर से सुन लें, कांग्रेस का एक-एक सिपाही इस "सरकारी-गुंडागर्दी" का विरोध करेगा.

क्या है मामला?

महाकाल मंदिर को मक्सी रोड़ स्थित निमनवासा में दान में मिली 45 बीघा जमीन को यूडीए ने टीडीएसएस 4 स्कीम में शामिल कर लिया है. महाकाल मंदिर अधिनियम में अधिग्रहण आयुक्त की अनुमति के बिना बेचना, गिरवी रखना या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता. बावजूद इसके जमीन अधिग्रहण कर ली गई. खास बात तो यह कि  मंदिर प्रबंधन समिति को इसकी भनक तक नहीं लगी. मामला जब सामने आया तो मंदिर समिति के अध्यक्ष आशीष सिंह (तत्कालीन कलेक्टर), गणेश धाकड़ (तत्कालीन प्रशासक) और सदस्य राजेंद्र शर्मा, राम पुजारी व प्रदीप गुरु ने स्पष्ट किया कि उन्हें प्रक्रिया की कोई जानकारी नहीं थी.

अधिग्रहण पर इसलिए उठे सवाल

9 सितंबर 2022 को यूडीए ने नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम की धारा-50(2) के तहत टीडीएसएस-4 की सूचना प्रकाशित की थी, जिसमें महाकाल मंदिर की 45 बीघा जमीन शामिल थी. तत्कालीन कार्यकारी सीईओ आशीष पाठक और संभागायुक्त संदीप यादव (यूडीए अध्यक्ष) इस प्रक्रिया के दौरान पदस्थ थे. उनका कहना है कि यूडीए ने सभी नियमों का पालन किया, लेकिन मंदिर प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.

खुद ही ले ली स्वीकृति

6 दिसंबर 2023 को महाकाल मंदिर के नाम से यूडीए का अनुमोदन पत्र भेजा गया, जिस पर यूडीए सीईओ और मंदिर प्रशासक के रूप में संदीप सोनी के हस्ताक्षर हैं यानी उन्होंने खुद को ही मंजूरी दे दी. इधर मामले में अब कलेक्टर नीरज सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि किसी भी तरह से महाकाल मंदिर की जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया. वैसे भी धर्मस्व विभाग का एक सर्कुलर है, जिसमें स्पष्ट निर्देश है कि मंदिर की जमीन का अधिग्रहण केवल शासकीय प्रक्रिया से ही संभव है.

कांग्रेस ने उठाए सवाल

महाकाल मंदिर जमीन विवाद पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा महाकाल मंदिर की जमीन पर कॉलोनी काटना, मतलब जमीन बेचना है. इससे पहले किसी भी मुख्यमंत्री के शहर में ऐसा तांडव नहीं दिखा. फिर चाहे सरकार कांग्रेस की हो या बीजेपी का. महाकाल की जमीन बिक रही है, इसका मतलब भ्रष्टाचार अपने चरम पर है. कांग्रेस मामले में सजग है और अपना धर्म निभाएगी.

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