
Ujjain News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन में सिंहस्थ (Simhastha 2028) के लिए स्थाई रूप से जमीन अधिग्रहण के विरोध में रविवार को किसान फिर सड़क पर उतर गए. किसानों के जल सत्याग्रह की घोषणा पर पुलिस ने देर रात कई किसानों को घर से उठा लिया, तो नदी के सभी घाटों पर जाना बैन कर दिया. इसके बाद कई किसानों ने परिवार के साथ श्मशान घाट पहुंचकर नदी में उतर गए, तो दूसरी तरफ कुछ ने आगर रोड पर चक्काजाम कर दिया.
किसान कर रहे सिंहस्थ के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध
शासन को हर 12 साल में करोड़ों रुपये खर्च कर अस्थायी निर्माण बनाना पड़ता है. यह देख सीएम मोहन यादव ने सिंहस्थ 2028 के लिए सिंहस्थ मेला क्षेत्र स्थायी निर्माण की योजना बनाई. इसके लिए उज्जैन विकास प्राधिकरण मेला क्षेत्र के करीब 1800 किसानों की करीब 5000 सर्वे वाली जमीन लैंड पुलिंग करना चाहता है. जबकि, किसान स्थाई रूप से जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं.
प्रशासन के मांग नहीं मानने पर किसान संघ ने रविवार को जल सत्याग्रह का ऐलान कर दिया. लेकिन, रविवार को प्रशासन ने क्षिप्रा नदी के रामघाट सहित सभी घाट और रास्तों पर बैरिकेटिंग कर फोर्स तैनात कर उन्हें रोका. इसके बाद दर्जनों महिला और पुरुष किसान पुलिस से बचते हुए श्मशान घाट पहुंचे. हाथों में जमीन अधिग्रहण के विरोध की तख्ती लेकर नारेबाजी कर दी. जिससे आम श्रद्धालु भी घाटों पर स्नान के लिए नहीं जा सके.
अधिग्रहण योजना क्यों?
सरकार की योजनानुसार, किसान के पास जितनी जमीन है, उसका 50 प्रतिशत सिंहस्थ के लिए अधिग्रहित किया जाना है. उसमें से 25 प्रतिशत भूमि में रोड, सेंटर लाइटिंग, स्टॉर्म वाटर ड्रेन, सीवर, वाटर लाइन और अंडरग्राउंड विद्युत लाइन का निर्माण होगा. बाकी बचे पांच प्रतिशत पर पार्क बनाकर झूले, स्लाइड्स, वॉकिंग पाथवे, ओपन जिम, लॉन और प्लांटेशन विकसित किए जाएंगे.
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क्यों विरोध कर रहे किसान?
अगर जमीन अधिग्रहण किया जाता है, तो किसानों के पास सिर्फ शेष 50 प्रतिशत जमीन बचेगी. इसलिए किसान हर बार की तरह सिंहस्थ में जमीन देने को तैयार है, लेकिन स्थायी रूप से नहीं देना चाहते हैं. क्योंकि, अधिकांश किसानों के पास कम जमीन है. अधिग्रहण होने से उनके पास कुछ नहीं बचेगा. किसान कहते हैं कि जमीन अधिग्रहण की नई योजना में जमीन अधिग्रहण से वे बर्बाद हो जाएंगे.
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