Madhya Pradesh High Court: भारत और पाकिस्तान (India And Pakistan) के बीच हुए विभाजन (Partition of India) के समय पाकिस्तान (Pakistan) गए लोगों की जमीन पर काबिज लोगों के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) की ग्वालियर खण्डपीठ (Gwalior Bench) ने बड़ा अहम फैसला दिया है. इन जमीनों पर काबिज लोगों के नाम रिकॉर्ड में दर्ज (Land Record) होंगे. यह फैसला विदिशा जिले के एक मामले में हुआ है, लेकिन इसका असर व्यापक और पूरे मध्यप्रदेश में लंबित ऐसे प्रकरणों में होगा. इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार (MP Government) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें इस आवंटन आदेश को विधि विरुद्ध बताया था.
क्या है मामला?
यह मामला विदिशा जिले की गुलाबगंज तहसील के ग्राम मुगादरा का है. बंटवारे के समय जो लोग देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे, उनकी जमीन को मध्यप्रदेश शासन ने 8 अक्टूबर 2009 को स्थानीय लोगों को आबंटित कर दिया था. इसके पीछे यह तर्क दिया गया था कि यह लोग 50 साल से अधिक समय से उक्त भूमि पर काबिज हैं. लेकिन बाद में 25 मई 2012 को खुद राज्य शासन ने ही अपने आदेश को पलटते हुए 2009 में दिए अपने आदेश को निरस्त कर दिया.
याचिका पर सुनवाई के दौरान याची के वकील में कोर्ट को बताया कि जमीन आवंटन की कार्रवाई 2005 के पहले से ही चल रही थी जबकि कानून 2005 में रद्द हुआ. चूंकि इस प्रकरण की कार्रवाई चल रही थी, इसलिए रद्द हुआ कानून याचीगणों पर लागू नहीं होता है. इसके लिए एडवोकेट ने जनरल क्लॉज एक्ट की धारा 6 का हवाला दिया इसके अनुसार यदि कोई कार्रवाई चल रही है तो उस पर रद्द कानून का प्रभाव नहीं पड़ेगा. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए जमीन आवंटन के आदेश को बहाल करते राजस्व रिकॉर्ड में याचिकाकर्ता का नाम दर्ज करने के निर्देश दिए है.
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