Guru Ghasidas Jayanti 2024: आज 18 दिसंबर को सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरू घासीदास जी की जयंती (Guru Ghasidas Jayanti) है. बाबा गुरू घासीदास (Baba Guru Ghasidas) जी ने अपने उपदेशों के माध्यम से दुनिया को सत्य, अहिंसा और सामाजिक सद्भावना का मार्ग दिखाया. उन्होंने सम्पूर्ण मानव जाति को 'मनखे-मनखे एक समान' का प्रेरक संदेश देकर समानता और मानवता का पाठ पढ़ाया. लोगों को मानवीय गुणों के विकास का रास्ता दिखाया और नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना की. समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा देने वाले, सत्य की आराधना करने वाले और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा में उपयोग करने वाले सन्त गुरु घासीदास जी की जयंती पर शत शत नमन, आइए जानते हैं कौन थे बाबा गुरू घासीदास महराज?
"मनखे-मनखे एक समान" का संदेश देने वाले एवं लोगों को मानवीय गुणों के विकास का रास्ता दिखाने वाले और सतनाम पंथ के संस्थापक बाबा गुरु घासीदास जयंती की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।#GuruGhasiDas #GuruGhasidasJayanti #Narayanpur #Chhattishgarh@ChhattisgarhCMO @DPRChhattisgarh pic.twitter.com/6HcSAM8c4g
— Narayanpur (@NarayanpurDist) December 18, 2023
कौन थे बाबा गुरू घासीदास महराज? (Who is Baba Guru Ghasidas)
छत्तीसगढ़ की सामाजिक सांस्कृतिक परम्पराओं की धुरी और संत परम्परा में अग्रणी गुरु घासीदास का नाम सर्वोपरि है. गुरु घासीदास का जन्म चौदशी पौष माह संवत 1700 को बिलासपुर जिले के गिरौदपुर नामक ग्राम में हुआ था. इनकी माता अमरौतिन तथा पिता का नाम महंगूदास था. गुरु घासीदास बाल्यावस्था से ही समाज में व्याप्त कुप्रथाओं को देखकर व्यथित हो जाते थे. शोषित वर्ग और निर्बल लोगों के उत्थान के लिए इस नन्हें बालक का हृदय छटपटाने लगता था, तड़प उठता था.
गुरु घासीदास जी ने भक्ति का अति अद्भुत और नवीन पंथ प्रस्तुत किया, जिसे सतनाम पंथ कहा गया. जिसमें सतनाम पर विश्वास, मूर्ति पूजा का निषेध, हिंसा का विरोध, व्यसन से मुक्ति, पर स्त्री गमन की वर्जना और दोपहर में खेत न जोतना हैं. उनका स्पष्ट कहना था.
मिट्टी का तन यह मिट्टी में मिल जाएगा, निरीह पशुओं से प्रेम करो प्रेम मिल जाएगा ,
भीतर के ईश्वर को खोजो उसे देखो, ईश्वर सबके हृदय के भीतर मिल जाएगा.
छत्तीसगढ़ की प्रख्यात लोक विधा पंथी नृत्य को गुरु घासीदास जी की वाणी को मन में धारण कर भाव विभोर होकर नृत्य करते हैं. संत शिरोमणि गुरुघासीदास जी 30 फरवरी 1850 को ब्रह्मलीन हो गए.
"मनखे-मनखे एक समान" के महान विचार से समाज में समरसता और समानता की अलख जगाने वाले सतनाम पंथ के प्रवर्तक, संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन।
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) December 18, 2024
समस्त प्रदेशवासियों को इस पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं! pic.twitter.com/cFA8rmFoVq
सीएम साय ने ऐसे दी बधाई
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरू घासीदास जी की जयंती पर समस्त प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं. बाबा गुरू घासीदास जी ने सम्पूर्ण मानव जाति को 'मनखे-मनखे एक समान' का प्रेरक संदेश देकर समानता और मानवता का पाठ पढ़ाया. उन्होंने छत्तीसगढ़ में सामाजिक और आध्यात्मिक जागरण की आधारशिला रखी. उनका जीवन दर्शन और विचार मूल्य आज भी प्रासंगिक और समस्त मानव जाति के लिए अनुकरणीय है.
यहां है बाबा की कर्मभूमि
बलौदाबाजार से लगभग 40 किलोमीटर दूर भैसा से आरंग मार्ग में ग्राम तेलासी स्थित है. जहां पर बाबा गुरू घासीदास की कर्मभूमि स्थित है. इसे सतनामी पंथ के संत अमर दास की तपोभूमि व स्थानीय लोगों द्वारा तेलासी बाड़ा भी कहा जाता है. सतनाम पंथ के लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. सन 1840 के लगभग तेलासी बाड़ा का निर्माण गुरु घासीदास के द्वितीय पुत्र बालक दास द्वारा किया गया और उनका तेलासी बाड़ा में जीवन यापन चलता रहा, जो कि आज भी प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर के रूप में स्थित हैं.
यह भी पढ़ें : CG News: शाह-साय के बीच ऐतिहासिक समझौता, छत्तीसगढ़ में डेयरी और वन उपज विकास के लिए बनी बात
यह भी पढ़ें : Year Ender 2024: इनके बयानों ने साल 2024 में जमकर बटोरी सुर्खियां, जानिए कैसे मचा था बवाल...
यह भी पढ़ें : Van Mela Bhopal: अंतर्राष्ट्रीय वन मेला आज से, महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी, जानिए क्या कुछ होगा खास
यह भी पढ़ें : Mahaparinirvan Diwas 2024: संविधान निर्माता की पुण्यतिथि, जानिए बाबा साहेब के विचार, इन्होंने दी श्रद्धांजलि