Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्र रंग-बिरंगे कपड़ों में नजर आ रहे हैं. शैक्षणिक कैलेंडर खत्म होने वाला है लेकिन इस साल भी स्कूली शिक्षा विभाग, सरकारी स्कूलों में स्कूली यूनिफॉर्म यानी गणवेश नहीं बांट पाया है. ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हो रहा है, कई स्कूलों में तो पिछले 2 साल से स्कूल ड्रेस नहीं मिली है.
भोपल के स्कूल में स्थिति दिखी काफी खराब
भोपाल के एक सरकारी स्कूल में एनडीटीवी के संवाददाता ने जाकर इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाली बातें सामने आईं. यहां के खजूरी कलां के स्कूल के अंदर बच्चे रंग -बिरंगे कपड़ों में नजर आए. पूछने पर छात्रों ने बताया कि पिछले दो साल से स्कूल की ड्रेस नहीं मिली है. कुछ बच्चों ने बताया कि उनकी ड्रेस फट गई है, वहीं कुछ बच्चों ने बताया कि उनकी ड्रेस छोटी हो गई है.
आगर मालवा में भी स्थिति दिखी खराब
ये कहानी सिर्फ प्रदेश की राजधानी भोपल की नहीं है बल्कि यहां से 200 किलोमीटर दूर आगर-मालवा के 60 हजार से ज़्यादा स्कूली बच्चों को यूनिफॉर्म नहीं मिली है. एनडीटीवी के संवाददाता ने जब इस बार में ग्राउंड पर जाकर पड़ताल की तो यहां कि स्थिति भी भोपाल जैसी ही नजर आई. यहां स्कूल में मौजूद बच्चों ने बताया कि पिछली बार यूनिफार्म दी गयी थी लेकिन एग्जाम खत्म होने के बाद.
सिलाई मशीनें कर रही हैं फरमान का इंतजार
बताया जा रहा है कि कुछ आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों ने अपने बच्चों के लिए यूनिफार्म सिलवाने के लिए उधार पैसे लिए हैं वहीं जो उधार नहीं ले पाए वो अपने बच्चों को रंग -बिरंगे कपड़ों में स्कूल भेजने के लिए मजबूर हैं. ज्यादातर शिक्षा केंद्र महिला स्वसहायता समूहों से यूनिफॉर्म तैयार कराता है, लेकिन इस बार भी अब तक सिलाई मशीन सरकारी फरमान का इंतजार कर रही हैं.
स्कूली शिक्षा मंत्री ने ये कहा ...
स्कूली शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा, 'यूनिफार्म बांटना बहुत लम्बा प्रोसेस है. पहले कपड़ा उपलब्ध करवाना पड़ता है फिर उसको बांटना पड़ता है. ये कठिन प्रक्रिया है इसमें आठ- नौ महीनों का समय लगता है. आगे हम कोशिश करेंगे की सबको समय पर ड्रेस मिल जाए. उन्होंने कहा कि जो शिकायतें आती हैं वो क्वालिटी की या मिलने के समय की आती हैं.' शिक्षा मंत्री ने ये स्वीकार किया कि ऐसा लगता है की ये तंत्र ठीक नहीं चल रहा है. हम कोशिश कर उसे स्टडी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी हमने कुछ जिलों में पैसा ट्रांसफर किया है. हमारी तैयारी है कि अगले साल हर बच्चे को स्कूली यूनिफार्म मिले.
वहीं इस पर कांग्रेस के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने कहा, पहले मामाजी की सरकार थी, अब भैया की सरकार है, भैया से हम निवेदन करना चाहते हैं की खोज करवाएं बच्चों के हिस्से की धनराशि कौन डकार गया? इसकी जांच करवाए.
ये भी पढ़ें बैगा आदिवासियों की हत्या मामले ने पकड़ा ज़ोर, छत्तीसगढ़ विधानसभा में जमकर हुआ हंगामा