Gwalior Electrician Problems: इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है. इससे बचने के लिए घरों में बेशुमार एसी, कूलर और पंखे चल रहे हैं. लोड बढ़ने से फॉल्ट आने से बिजली की सप्लाई बंद हो जाती है और इन्हें ठीक करने दौड़ते है बिजली विभाग के कर्मचारी... ग्वालियर (Gwalior) ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradhuman Singh Tomar) का खुद का शहर है, लेकिन हालत ये है कि यहां भी बिजली कर्मचारी (Lightmen) अपनी जान हथेली पर रखकर बिजली का फॉल्ट सुधारने के लिए नंगे तारों के बीच चढ़ते है. उनके पास सुरक्षा के कोई उपकरण (Safety Equipments) है ही नहीं... यही वजह है कि बीते एक साल में तीन लाइनमेंन स्पॉट पर ही दम तोड़ चुके हैं.
कई लाइटमैन की जा चुकी हैं जान
यहां के बिजली कर्मी अपनी जान पर खेल कर लोगों को बिजली उपलब्ध कराने में लगे हैं. इस दौरान एक कर्मचारी की मौत हो गई. इससे पहले महाराज बाड़ा पर टोपी बाजार में दो लाइनमैन खम्बे पर ही भून गए थे. इन सब घटनाओं के बाद प्रकाश में आया कि इनके पास जरूरी सुरक्षा उपकरण थे ही नहीं. दरअसल, मध्य प्रदेश में बिजली वितरण व्यवस्था का निजीकरण हो गया है. अब लाइनमैन आदि कर्मचारियों की सप्लाई ठेकेदार द्वारा की जाती है. हालांकि, ठेकेदार की शर्तों में यह शामिल रहता है कि वह सभी को जरूरी सुरक्षा उपकरण देकर ही काम पर भेजेगा. लेकिन, दुर्घटनाओं के बाद प्रकाश में आया कि उनके पास सुरक्षा का कोई सामान नहीं थे.
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बिजली कंपनी करती है इंकार
इस मामले में जब बिजली कंपनी के अधिकारियों से बात की जाए, तो उनका कहना रहता है कि किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और हम इस पर सख्त कार्रवाई करेंगे. लेकिन, बावजूद इसके, इस तरह के मामले सामने आना और मैदानी अमले की लापरवाही से कई परिवारों के चिराग बुझे हैं. न तो बिजली कंपनी और न ही जिम्मेदार नेताओं को इन कर्मचारियों की कोई परवाह है.
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