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कैसे आगे बढ़ेगा भारत? जब बच्चों को पढ़ने के लिए सुरक्षित बिल्डिंग ही नहीं मिल पा रही...

शिक्षा अधिकारी का कहना है कि बहुत सारी जगह सरकारी भवन नहीं बन सके हैं. अधिकारी कहते हैं स्कूल भवनों के लिए राशि स्वीकृत हो गई है. जल्द ही भवन निर्माण कराया जाएगा.

कैसे आगे बढ़ेगा भारत? जब बच्चों को पढ़ने के लिए सुरक्षित बिल्डिंग ही नहीं मिल पा रही...
स्कूलों की हालत खराब दिख रही है

Madhya Pradesh  News: मध्य प्रदेश में करोड़ो रूपए खर्च करके 'स्कूल चले हम'अभियान चलाया जा रहा है पर यह अभियान जमीनी स्तर पर कितना कारगर साबित हो रहा है इसका जीता जागता नमूना प्रदेश का विदिशा जिला है. जिले भर में शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता ही जा रहा है. जिले भर के सैंकड़ों सरकारी स्कूल के भवन जर्जर हो गए हैं. कई जगह स्कूल किसी के भवन में चल रहे हैं तो कहीं खुले आसमान के नीचे क्लास लग रही हैं. इतना ही नहीं हालात यह हैं कि सरकारी स्कूल में पढ़ने चौथी पांचवीं क्लास के बच्चे आज भी देश -प्रदेश की राजधानी का नाम नहीं जानते. 

शिक्षिका के घर में पढ़ते हैं बच्चे

ग्यारसपुर जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाला संकुल हैदरगढ़ के जहीदगंज प्राइमरीशाला का भवन बना तो है लेकिन पूरी तरह जर्जर हालात में तब्दील हो चुका है. यहां के बच्चे एक शिक्षिका के घर में पढ़ाई करते हैं यह स्कूल करीब चार साल से इसी तरह लग रहा है.

स्कूल के प्रभारी राम सिंह विश्वकर्मा ने बताया कि स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है. मोटी -मोटी दरारें साफ दिख रही हैं.  इसकी सूचना संकुल केंद्र प्रभारी को भी है और बीआरसी कार्यालय में भी जानकारी दे दी गई है. चार साल से इसी तरह स्कूल लग रहा है. गांव के स्कूल के पढ़ने वाले बच्चे भी बताते हैं शिक्षिका के घर में पढ़ते हुए उन्हें चार साल हो गए लेकिन आज तक स्कूल का भवन नही बन पाया है.

बारिश के दिनों में हालात हो जाते हैं खराब

NDTV की टीम माधवगंज क्रमांक 2 सरकारी स्कूल में पहुंची तो गांव और शहर के हालात एक जैसे ही नजर आए. यहां पढ़ाने वाले टीचर अपने उच्च अधिकारियों को स्कूल भवन के बारे में बता चुके हैं लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला. टीचर रुकमणी बताती हैं कि बारिश के दिनों में स्कूल में बाड़ जैसे हालात बन जाते हैं. स्कूल की छत टपकती है एक नही बच्चों को कई परेशानी का सामना करना पड़ता है. 

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शिक्षा अधिकारी का कहना है कि बहुत सारी जगह सरकारी भवन नहीं बन सके हैं. अधिकारी कहते हैं स्कूल भवनों के लिए राशि स्वीकृत हो गई है. जल्द ही भवन निर्माण कराया जाएगा.

जब स्कूल भवन की समस्या से निकलकर हमने सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की नब्ज टटोलने की कोशिश की तो हैरान करने वाली जानकारी सामने आई.  चौथी - पांचवीं में पढ़ने वाले बच्चों को z से जेबरा की स्पेलिंग भी नहीं मालूम. देश प्रदेश की राजधानी का नाम नहीं मालूम. 

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