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Deforestation: 'मेरी जान बख्श दो', धड़ल्ले से काटे जा रहे हैं पेड़, कोई संज्ञान लेने को तैयार नहीं...

MP News: प्रदेश में जंगल काटने वालों का प्रकोप सातवें आसमान पर पहुंचा हुआ है.. पेड़ अपनी व्यथा आखिर किसको जाएंगे सुनाने..

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Deforestation: 'मेरी जान बख्श दो', धड़ल्ले से काटे जा रहे हैं पेड़, कोई संज्ञान लेने को तैयार नहीं...
पेड़ों की हो रही हैं अवैध कटाई और तस्करी

Deforestation in MP: बुंदेलखंड (Bundelkhand) में छतरपुर (Chhatarpur) का जंगल लकड़ी तस्करों (Timber Smugglers) के लिए बेहद सुरक्षित एरिया बन चुका है, क्योंकि यहां सागोन का बड़ा जंगल है और साल के पेड़ों की भरमार है. यही पेड़ जंगल तस्करों के निशाने पर रहते हैं. दिनभर पेड़ों की कटाई (Deforestation) की जाती है और रात में वाहनों से लकड़ी की तस्करी की जाती है. बक्सवाहा बारीगढ़, बिजावर और मलहरा क्षेत्र का जंगल इन तस्करों के निशाने पर रहता है. कहने को तो वन विभाग का अमला जंगलों की सुरक्षा में लगा रहता है, लेकिन जंगल तस्करों (Forest Cutters) का फिर भी अवैध कारोबार जमकर चलता रहता है. वह जंगल तस्कर और उनके लकड़ियों से भरे वाहन वन विभाग की टीमों को न तो वाच टावरों से नजर आते हैं और न ही वन नाकों पर मिलते हैं.

अवैध ठेकेदार काट रहे पेड़, खुलेआम कर रहे तस्करी

बुंदेलखंड के छतरपुर, सागर, बंडा और दमोह से जुड़े लोग ठेकेदारी के नाम पर नगर-कस्बों के पेड़ों की कटाई का ठेका लेते हैं और लोगों को थोड़ा बहुत पैसा देकर पेड़ कटवाते हैं. पेड़ों की कटाई को लेकर वन विभाग को जानकारी तक नहीं दी जाती. कुछ दिन पहले शाहगढ़ और छतरपुर सीमा क्षेत्र में लकड़ी से भरे एक वाहन को पकड़ा गया था. लेकिन, बाद में उसे छोड़ दिया गया. अक्सर ऐसा ही होता हैं कि लकड़ियों से भरे वाहनों को पकड़ा जाता है, बाद में उनको आसानी से छोड़ दिया जाता है. जबकि वन विभाग में ठेकेदारों से पेड़ कटवाने संबंधी कोई सिस्टम नहीं है. इसके बाद भी यह लोग पेड़ों की कटाई करते हैं और यूपी तक सप्लाई करते हैं.

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डेढ़ सौ से ज्यादा बीटें, फिर भी जंगल सुरक्षित नहीं

छतरपुर जिले से सटे जंगल में रोड किनारों पर पेड़ों की भरमार थी. लेकिन, धीरे-धीरे यह पेड़ खत्म होते चले गए. बिजावर के रास्ते में नजर आने वाला घना जंगल मैदान की तरह दिखता है. जंगल की सुरक्षा के लिए वन विभाग की करीब 150 बीटें हैं. जहां वनकर्मी सुरक्षा में रहते हैं. वाहनों की जांच पड़ताल के लिए नाके बनाए गए हैं. नजर रखने के लिए वाच टावर हैं. इसके बाद भी जंगल कटता रहा है. पिछले माह बारीगढ़ क्षेत्र में नदी किनारे के जंगल काटे जाने की खबरें सामने आईं थीं.

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