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Jabalpur: अवैध फीस वसूली मामले में कोर्ट की तीखी टिप्पणी, आरोपियों की जमानत याचिका खारिज

MP News: स्कूलों में अवैध फीस वसूली मामले में जबलपुर के सेशन कोर्ट ने आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है. इसके साथ ही अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपियों ने संगठित रूप में यह अपराध कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया है.

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Jabalpur: अवैध फीस वसूली मामले में कोर्ट की तीखी टिप्पणी, आरोपियों की जमानत याचिका खारिज

Illegal Fee Collection In Schools of Jabalpur: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) की स्कूलों में हुए अवैध फीस वसूली मामले में सेशन कोर्ट (Jabalpur Session Court) ने आरोपियों की जमानत याचिका खारिज (Bail Plea Rejected) कर दी है. इसके साथ ही अदालत ने तल्ख टिप्पणी (Sharp Comment of Court) की है. अदालत ने कहा कि आरोपियों ने संगठित होकर मासूमों के भविष्य से खिलवाड़ किया है. इस गंभीर अपराध के जरिए बच्चों को शिक्षा से दूर किया गया. यह गलत और निंदनीय है. इस तरह की हरकतों से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास में रुकावट आ सकती है. आपको बता दें कि अदालत ने यह टिप्पणी जबलपुर के बहुचर्चित अवैध फीस वसूली और पाठ्यपुस्तक घोटाला मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की.

संगठित होकर मासूमों के भविष्य से खिलवाड़ : अदालत

सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश शशि भूषण शर्मा की अदालत ने मामले में आरोपी स्कूल और पाठ्य सामग्री विक्रेता इंदुरख्या बंधुओं आलोक कुमार व श्रीराम की जमानत याचिका खारिज कर दी है. इसके साथ ही अदालत ने अपने आदेश में मासूमों के भविष्य से संगठित होकर अपराध करने की तल्ख टिप्पणी भी की. कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले में आरोपियों की औपचारिक गिरफ्तारी की गई है. उनके खिलाफ दो अन्य अपराध दर्ज हैं, इसके साथ ही मामले की जांच अभी जारी है. लिहाजा, वर्तमान स्थिति में आरोपियों को जमानत नहीं दी जा सकती.

पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने लगाए ये आरोप

बता दें कि इस मामले में अभियोजन की ओर से अपर पब्लिक प्रोसिक्यूटर अरविंद जैन ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि आरोपियों पर गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए इन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए. अगर आरोपियों को जमानत मिली तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा. उन्होंने बताया कि आरोपियों ने कुछ पाठ्यपुस्तकें दिल्ली से खरीद कर लाई थीं. इसके बाद उनके आईएसबीएन नंबर के आधार पर आरोपियों ने बहुत सारी पुस्तकें छापी. साथ ही ये पुस्तकें अनुचित मूल्य पर बेची की जाती थी. इस तरह का अपराध जालसाजी की श्रेणी में आता है, इसीलिए अजय उमेश जेम्स, एलएम साठे, एकता पीटर, साजी थॉमस, ललित सोलोमन, आलोक इंदुरख्या और श्रीराम इंदुरख्या को धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के अंतर्गत आरोपी बनाया गया.

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