
Unemployment in MP: मध्यप्रदेश सरकार बेरोज़गारी का इलाज नौकरी से नहीं, नामकरण से करती है. ये नाम कभी 'युवा शक्ति', कभी 'डिजिटल योद्धा' और कभी 'आकांक्षी युवा' के तौर पर सामने आते हैं. दरअसल राज्य में बेरोज़गारी अब एक स्थायी सरकारी परंपरा है, जिसका पालन बड़े नियम और अनुशासन के साथ किया जाता है. हर साल चुनावी घोषणाओं के तौर पर सपने दिखाए जाते हैं, फर्क बस इतना है कि चुनाव हर पांच साल में होता है और ये सपने हर साल दिखाए जाते हैं. ये तंज इसलिए कि मध्यप्रदेश में हालात ही कुछ ऐसे हैं. यहां एक विभाग में तो 17 साल बाद पद निकले लेकिन उसकी परीक्षा भी रद्द हो गई. नौकरी को लेकर यहां आंदोलन होते हैं और गिरफ्तारी भी होती है लेकिन सुनवाई नहीं होती. दरअसल सालों से MPSC में हो रही लापरवाही का अब ये असर हो रहा है कि छात्रों ने परीक्षा से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है. हकीकत ये है कि हर साल निर्धारित पदों के लिए परीक्षा होती है लेकिन नौकरी केवल 20 प्रतिशत को ही मिलती है. क्या है जमीनी हकीकत पढ़िए इस रिपोर्ट में?
एक समय था जब MPPSC में सैकड़ों पदों पर भर्ती निकलती थी. हर साल परीक्षा होती थी और नतीजे आने के बाद नियुक्तियां भी होती थी .. लेकिन अब ऐसा तस्वीर देखे मानो बरसों बीत गए हों. अब एक साल में परीक्षा होती है उसके अगले साल नतीजे आते हैं और नियुक्तियां होने तक तो छात्र उम्मीद ही छोड़ देते हैं. अब तो ऐसा लगने लगा है कि MPPSC अब कोई परीक्षा संस्था नहीं, बल्कि सरकारी सस्पेंस थ्रिलर है. आप आंकड़े देखिए जो इसकी तस्दीक करते हैं.

ये कहा जा सकता है कि MPPSC नाम की संस्था अब परीक्षा नहीं, परीक्षा-पर्व मनाती है, जिसका नतीजा निकलते-निकलते वक्त गुजर जाता है. MPPSC ने 17 सालों बाद फ़ूड सेफ्टी ऑफिसर के 120 पदों पर वैकेंसी निकाली. छात्रों से फॉर्म भरवाए, फीस ली और आखिर में एग्जाम ही कैंसिल कर दी.
एक अभ्यर्थी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया- मैंने फॉर्म भरा, तैयारी शुरू की और कोचिंग भी गया लेकिन अंत समय में परीक्षा ही कैंसल हो गया. एक आंदोलनकारी छात्र राधे जाट बताते हैं कि हम सालों से आवाज़ उठा रहे हैं. आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार हमारी आवाज़ दबाने का काम करती है. हमारे मांगे नहीं सुनी जाती. अब यदि पदों की बात करें तो अब पद 200 का आंकड़ा भी पार नहीं करते हैं. इसे लेकर भी कई हड़तालें हुई, मुलाकातें हुई आंदोलन भी हुए लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला सरकार ने वही किया जो उन्होंने सोच रखा था. आप भी आंकड़ों पर गौर करिए.

जिस राज्य की जनसंख्या साढ़े सात करोड़ है और इसमें युवाओं की जनसंख्या लगभग 2 करोड़ है. यानि राज्य की आबादी का लगभग एक चौथाई हिस्सा है. उनके लिए यह पदों की संख्या बहुत ही कम है. पिछले दो सालों में अभ्यर्थियों ने कई बड़े आंदोलन किए. जिसमें छात्र रात भर आयोग के बाहर बैठे रहे और कई जेल भी चले गए. इतना हो जाने के बाद अब कई युवा हैं जिन्होनें MPPSC से उम्मीदें छोड़ दी. किसी ने प्राइवेट सेक्टर में नौकरी ढूंढ ली तो किसी ने खुद का बिजनेस शुरू कर दिया. ऐसे ही एक छात्र वैभव वाजपेयी बताते हैं- मेरी उम्मीद MPPSC से खत्म हो गई तो मैंने खुद का कारोबार शुरू कर लिया. इसी संबंध में हमने सीधे MPPSC के ओएसडी आर पंचभाई से बात की. तब उन्होंने कहा- राज्य सेवा की परीक्षा के आयोजन और उसकी चयन प्रक्रिया को भी कैलेंडर के अनुसार हम वापस पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. बहुत जल्द 2023, 2024 और 2025 तीनों ही परीक्षा का अंतिम चरण का परिणाम आयोग जल्द घोषित करने का प्रयास कर रहा है. दिसंबर 2025 तक सभी साक्षात्कार आयोजित कर लिए जाएंगे. यदि पंचभाई जो कह रहे हैं वैसा ही होता है तो बेरोजगार छात्रों के लिए ये खुशखबरी है. लेकिन ये समझना होगा कि यदि ऐसा नहीं होता है और हालात नहीं बदलते तो बहुत जल्द आयोग तो रहेगा लेकिन अभ्यर्थी ढूंढे नहीं मिलेंगे.
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