Bhopal Gas Tragedy: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 4 दिसम्बर 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना (Industrial Accident) हुई थी. जिसे भोपाल गैस कांड (Bhopal Disaster) या भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) के नाम से जाना जाता है. इस दुर्घटना की भीषणता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि दो ही रातों में हजारों लोगों की जान चली गई और लाखों लोग मिथाइल आइसोसायनाइड गैस के रिसाव से जीवन भर के लिए बीमार और दिव्यांग हो गए. सरकार ने इनके पुनर्वास और इलाज के लिए कई कदम उठाए और बहुत से वादे भी किया जो आगे चलकर पूरे नहीं हो सके. इसके लिए आज तक सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में परिवाद चल रहे हैं. SC (उच्च न्यायालय) की मॉनिटरिंग कमेटी के निर्देश में कार्य भी किए जाते हैं. वहीं अब भोपाल गैस त्रासदी मामले में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) जस्टिस संजीव सचदेव तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने MP सरकार को निर्देशित किया है कि मॉनिटरिंग कमेटी की सिफारिशों का निर्धारित समय अवधि में पालन किया जाए.
क्या है मामला?
सर्वाेच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे. मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने तथा रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश भी जारी किये गये थे. जिसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी.
इस मामले पर हाई कोर्ट ने क्या कहा?
याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी उक्त अवमानना याचिका 2015 में दायर की गयी थी. याचिका पर बीते दिनों हुई सुनवाई के दौरान MP हाईकोर्ट की युगलपीठ को बताया गया कि विगत 12 सालों से मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में की गई अनुशंसाओं का पालन नहीं किया जा रहा है.
इन सब तर्क को सुनने के बाद युगलपीठ ने आदेश जारी किये. वहीं इस याचिका पर अगली सुनवाई 30 जुलाई को निर्धारित की गयी है.
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