
Teacher foot journey wearing garland slippers : मध्य प्रदेश के भिंड में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. यहां एक शिक्षक गले में चप्पलों की माला पहनकर 110 किमी के सफर पर पैदल ही निकला हुआ है. आइए जानते हैं इसके पीछे क्या वजह है...
भिंड में शिक्षा विभाग की गंभीर अव्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करते हुए एक प्रभारी प्राचार्य का अनोखा आंदोलन देखने को मिला. शिक्षक गले में चप्पल की माला पहनकर, नंगे पैर आलमपुर से भिंड जिला मुख्यालय तक 110 किलो मीटर के सफर पर निकले हैं. जो भिंड पहुंचकर कलेक्टर से शिकायत करेंगे.
दरअसल सुरेश माहौर भिंड जिले के आलमपुर कस्बे में स्थित सीएम राइज स्कूल के प्रभारी प्राचार्य है. प्रभारी प्राचार्य ने जिले भर की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. प्रभारी प्राचार्य सुरेश माहौर का कहना है कि चार हजार बच्चों के साथ अन्याय होते हुए नहीं देख सकता हूं. जिन बच्चों की जिम्मेदारी हमारे ऊपर है, उन छात्रों के साथ स्कूल में अन्याय हो रहा है. वर्तमान में शिक्षक बच्चों की शिक्षा व्यवस्था के प्रति समर्पित नहीं हैं. वे समय पर स्कूल भी नहीं पहुंचते हैं. आते भी है तो पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते हैं.
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नौकरी छोड़ने की दी चेतावनी
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में जिस जिम्मेदारी के लिए हमें तैनात किया गया है, वो जिम्मेदारी हम लोग निभा नहीं पा रहे है. अब हमारे पास दो ही रास्ते बच्चे हुए हैं.एक या तो सुधार करें या फिर अपने पद से त्याग पत्र दे दूं. प्रभारी प्राचार्य माहौर ने नौकरी छोड़ने की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि हम सुधार के लिए प्रयासरत हैं. यदि सुधार नहीं होगा तो मैं नौकरी छोड़ दूंगा. प्रभारी प्राचार्य ने इन अव्यवस्थाओं पर सवाल उठाए.
- स्कूलों में टीचर समय पर नहीं होते हैं.
- स्कूलों में टीचर पढ़ाई पर फोकस नहीं कर रहे हैं.
- स्कूलों के अंदर आने वाले शिक्षिक बीड़ी, गुटखा खाकर आते है उसको प्रतिबंधित किया जाए.
- स्कूलों में शिक्षकों के बीच राजनीतिक माहौल खत्म हो. राजनेताओं के नजदीकी या भाई भतीजे स्कूल का माहौल बिगाड़ रहे हैं.
- स्कूलों में पढ़ाई के आधार पर ही शिक्षकों की ग्रेडिंग की जाए. इंक्रीमेंट आदि सुविधाएं मिले.
- शिक्षकों की अटेंडस रेगुलर हो.
- एक दिन में दो से तीन दिन के साइन करना स्कूलों में बंद हो.
इन मांगों को लेकर प्राचार्य गले मे चप्पलों की माला डालकर, नंगे पैर पदयात्रा के लिए निकल गए हैं. जो आलमपुर से भिंड 110 किलो मीटर पहुंचकर कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से बात करेंगे और अपनी इन मांगों को रखेंगे. प्रभारी प्राचार्य प्रतिदिन दस किलो मीटर पदयात्रा पूरी करते हैं. सुबह 5 किलो मीटर पद यात्रा करके छायादार जगह पर पड़ाव डालते हैं और शाम को 5 किलो मीटर पदयात्रा कर रात को किसी भी स्थान सो जाते हैं. उस दौरान लोगों से सहयोग लेकर खाना खाने की व्यवस्था करते हैं. फिर दूसरे दिन सुबह निकल जाते है.
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