
Economic Weaker Section: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गुरुवार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चों को शिक्षा के अधिकार (RTE) के तहत निजी स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा देने के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया है कि वो ऐसे बच्चों को निः शुल्क शिक्षा देने के लिए ठोस योजना तैयार करें
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ईडब्ल्यूएस के साथ भेदभाव को लेकर आरटीई की होती है आलोचना
गौरतलब है आरटीई अधिनियम 2009 की आर्थिक रूप से वंचित समूहों (ईडीजी) और कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के साथ भेदभाव करने के लिए आलोचना की जाती रही है, क्योंकि आरटीई अधिनियम के अनुसार निजी स्कूलों में सिर्फ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के बच्चों को आरटीई के तहत निःशुल्क शिक्षा दी जाती हैं.
EWS बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए दायर की गई थी याचिका
रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिया गया है. निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को भी यह लाभ देने के लिए एक जनहित याचिका सीवी भगवंत राव द्वारा अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से दायर की गई थी.
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निजी स्कूलों में भी EWS बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने की मांग की गई थी
सीवी भगवंत राव द्वारा हाई कोर्ट में दायर याचिका 6 से 14 वर्ष के ईडब्ल्यूएस बच्चों को निजी स्कूलों में भी नि:शुल्क शिक्षा देने की मांग की गई थी. कोर्ट ने पाया कि सरकार के पास इस पर कोई स्पष्ट नीति नहीं है. कोर्ट ने सरकार जल्द से जल्द एक ठोस नीति तैयार करने का निर्देश दिया, ताकि आरटीई अधिनियम की भावना और उद्देश्य को लागू किया जा सके.
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