
Chhattisgarh Principal Promotion Case: छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर चल रहे विवाद पर हाई कोर्ट (High Court) ने अहम फैसला सुनाते हुए राज्य शासन द्वारा तय किए गए मापदंडों और नियमों को वैध ठहराया है. डिवीजन बेंच ने इस संबंध में दायर आधा दर्जन याचिकाओं को खारिज कर दिया है. हालांकि, इसी मुद्दे पर एक रिटायर शिक्षक की याचिका सिंगल बेंच में लंबित है, जिस पर बीते पांच दिनों से लगातार सुनवाई हो रही है. प्राचार्य पदोन्नति के लिए शासन द्वारा बनाए गए नियमों को चुनौती देते हुए शिक्षक नारायण प्रकाश तिवारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता तिवारी सेवानिवृत्त हो गए. इसके बावजूद उनकी याचिका पर सुनवाई जारी रही. डिवीजन बेंच ने 9 जून से 17 जून तक लगातार सुनवाई के बाद 17 जून को अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
राज्य शासन के पक्ष में आया डिवीजन बेंच का फैसला
डिवीजन बेंच में जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय दिया कि प्राचार्य पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा निर्धारित मापदंड और प्रक्रिया उचित हैं. कोर्ट ने आधा दर्जन शिक्षकों की याचिकाओं को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि शासन की नीति में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है.
पदस्थापना प्रक्रिया अटकी
डिवीजन बेंच से याचिकाएं खारिज होने के बाद शासन ने टी संवर्ग के उन 1475 शिक्षकों की प्राचार्य पद पर पदस्थापना प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है, जिन्हें प्रमोशन मिलना है. लेकिन नारायण प्रकाश तिवारी की याचिका सिंगल बेंच में लंबित रहने के कारण यह प्रक्रिया फिलहाल अटकी हुई है.
सिंगल बेंच में चल रही सुनवाई
तिवारी की याचिका पर जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की सिंगल बेंच में सुनवाई हो रही है. सोमवार को राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने अपना पक्ष रखा. वहीं, हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने भी अपने तर्क कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए. सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार के लिए निर्धारित की है.
1 मई को कोर्ट ने पदोन्नति सूची पर लगाई थी रोक
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल को प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी की थी, जिसे हाई कोर्ट ने 1 मई को स्थगित कर दिया था. इसके बाद लगातार सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने 17 जून को अपना निर्णय सुनाया, जिसमें शासन के मापदंडों को सही ठहराते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया.
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