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    ठहाकों का साथी,सच्चाई का सिपाही और बस्तर का बेटा था मुकेश चंद्राकर

    मुकेश चंद्राकर- एक ऐसा नाम जो बस्तर की बुलंद आवाज़ थे. उनमें बस्तर की आत्मा बसती थी. वे खबरों की रिपोर्ट नहीं करते थे बल्कि उसमें बस्तर की पीड़ा होती थी. बस्तर के संघर्ष के वे चश्मदीद गवाह होते थे. तभी तो जब सरकार और सुरक्षाबल थक-हार गए थे तब मुकेश उनके लिए ताकत बन कर खड़े हुए थे. इसी का परिणाम पूरी दुनिया ने तब देखा जब वो नक्सलियों के कब्जे से CRPF के कमांडो को छुड़ा लाए थे. इस रिपोर्ट में पढ़िए उनके पत्रकार साथियों की जुबानी उनकी कहानी.

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    कालजयी कुमार की "गीतवर्षा"...

       कर्नाटक के बेलगांव में जन्मे कुमार जी शिवपुत्र सिद्धरामैया कोमकली थे, पुणे में सुर साधे लेकिन कुमार गंधर्व की यात्रा तपेदिक और मालवा के देवास में पूरी हुई. देवास में इलाज के दौरान मालवी लोकगीतों ने एक नया सृजन किया जिसमें शास्त्रीय, लोकगीत कबीर सब थे.

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