विज्ञापन

Opinion : ख़ुशी के मायने क्या ?

Amisha
  • विचार,
  • Updated:
    दिसंबर 18, 2024 17:10 pm IST
    • Published On दिसंबर 18, 2024 17:10 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 18, 2024 17:10 pm IST

कभी-कभी जीवन दो हिस्सों में बंटा हुआ सा प्रतीत होता है, एक ओर वे लोग जिनके पास सब कुछ हो, जिन्हें अनायास ही सब कुछ मिल-सा गया हो... तो दूसरी तरफ वे लोग जो बेहद कम में ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं, बेहद कमतर में जी रहे हैं. जिनके पास सब कुछ है, उन्हें पास सभी सुख, हर ऐशो-आराम है, मगर फिर भी वे अक्सर चिंता, भय और असंतोष से भरे रहते हैं. दूसरी तरफ, वे जो तंगहाली में जी रहे हैं, उनके पास खाने-पाने, पहनने-ओढ़ने की चीज़ों का इंतेज़ाम भी बमुश्किल ही हो पाता है, लेकिन उनके चेहरे पर एक अजीब से मुस्कान और दिल में एक सादगी भरी संतुष्टि दिखाई देती है.

जिन्हें बहुत कुछ मिला है, वे अक्सर उन चीज़ों की कदर नहीं कर पाते जो उनके पास है. यूँ तो उनके पास पैसा है, घर है, गाड़ी है, लेकिन फिर भी वे किसी न किसी कमी का दुख मनाते रहते हैं. वहीं, जिनके पास कम है वे तमाम छोटी चीजों को आशीर्वाद मानते हैं. एक फल, एक कपड़ा, या कोई भी छोटा तोहफा उनके लिए खुशियों की बड़ी वजह बन जाता है. ये फर्क किस चीज़ का है? क्यों होता है ऐसा! गौर से सोचने पर आप पाएंगे कि ये फर्क है डर का... ! खोने का डर, कुछ छूट जाने का डर, अपने मन मुताबिक चीज़ें नहीं हो पाने का डर !

पैसा, इज़्ज़त, मान-सम्मान, रिश्तें- सब कुछ संभालने की चिंता कभी कभी इस कदर भारी हो जाती है कि तनाव का रूप ले लेती है. अब तनाव-अवसाद के बारे में कभी खुलकर बात करेंगे. लेकिन वापस जीवन के दूसरे पहलू पर आए तो वे लोग जिनके पास कुछ भी नहीं है, वे Materialistic भौतिकवादी चीज़ों की चिंताओं से परे होते हैं. हो सकता है ये कहने की बात मात्र हो लेकिन फिर भी शायद उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता ! कदाचन यही कारण है कि वे ज़्यादा सहज, कुछ विनम्र और थोड़े खुशमिजाज दिखाई पड़ते हैं.

आखिर मैंने इतना सब क्यों कहा? क्या आप सार समझ पाएं. गौर फ़रमाया जाए तो जीवन हमें हर पल यही सिखाता है कि पास मिली चीज़ों की कद्र की जाए. ख़ुशी पाने के लिए सदा बड़ी-महंगी, मनचाही चीज़ों की ज़रूरत नहीं पड़ती. सादगी और शुक्रग़ुज़ारी से जिंदगी जीने का अपना ही अनुभव है. सड़क पर फूल बेचते बच्चे, ठिठुरन वाली सर्दी में बिना स्वेटर पहने लोग, सड़क किनारे छुट-पुट सामान बेचती कोई माँ, गुब्बारे बेचने की जद्दोजहद में लगा एक बाप, ऐसे अनगिनत लोग हैं जिनसे हमें सीखना चहिए कि संघर्ष की राह पर जीवन कैसे जीया जाता है. जरूरी तो नहीं हर ख्वाहिश पूरी ही हो, और ऐसी अनगिनत चीज़े हैं जो हम चाहते हैं लेकिन हमें नहीं मिलती... लेकिन ख़ुशी के मायने सिर्फ मनचाही हसरतों को हासिल करना नहीं, कुछ न हासिल कर पाने में भी ख़ुशी है, कुछ मिल पाने में भी ख़ुशी है..... ! ~ अमीषा

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close