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जल संरक्षण का जन आंदोलन बना जल गंगा संवर्धन अभियान - डॉ. मोहन यादव

Dr Mohan Yadav
  • विचार,
  • Updated:
    जून 29, 2025 21:58 pm IST
    • Published On जून 29, 2025 21:55 pm IST
    • Last Updated On जून 29, 2025 21:58 pm IST
जल संरक्षण का जन आंदोलन बना जल गंगा संवर्धन अभियान - डॉ. मोहन यादव

Jal Ganga Samvardhan Abhiyan: "क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा, पंचतत्व से बना शरीरा" रामचरित मानस की इस चौपाई के पंचतत्वों में से एकजल, जीवन का आधार है. हमें जीवन के अस्तित्व के लियेजल को संरक्षित करना ही होगा. इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाना जरूरी है. ऋग्वेद की ऋचाओं में जल के महत्व, विशेषताओं और संरक्षण का संकेत है. रामायण और महाभारत में प्रकृति के संरक्षण का उल्लेख है. जल संरक्षण हमारी पुरातन संस्कृति है. यह अपनी परंपरा और संस्कारों की ऐतिहासिक विरासत है, जिसे हमें अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विरासत से विकास की दृष्टि समग्र कल्याण के लिए है, जो प्रकृति संवर्धन से लेकर विकास के हर पक्ष में समाहित है. मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने लंबे समय तक जल संरक्षण का अभियान चलाया था. उन्हीं से प्रेरणा लेकर मध्यप्रदेश में हमने जल गंगा संवर्धन अभियान की संकल्पना की. इस अभियान का शुभारंभ 30 मार्च गुड़ी पड़वा, नववर्ष विक्रम संवत अवसर पर महाकाल की नगरी उज्जयिनी के शिप्रा तट से किया गया. यह अभियान जल संरक्षण, जल स्रोतों के पुनर्जीवन और जन-जागरुकता को समर्पित रहा है. जल संग्रह के कई कीर्तिमान रचने के साथ आज हम जल संरक्षण की समृद्धि का उत्सव मना रहे हैं.

मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि इस 90 दिन तक चले अभियान में पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर जलसंरचनाओं पर काम हुआ है. इस अभियान में खंडवा जिले ने 1.29 लाख संरचनाओं का निर्माण किया है. इस विशेष उपलब्धि के लिए खंडवा को भू-गर्भ जल भंडारण की दृष्टि से प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है.

पीएम नरेन्द्र मोदी ने जल सुरक्षा और प्रभावी जल प्रबंधन के लिए कैच द रेन अभियान शुरू किया. इसी से प्रेरणा लेकर मध्यप्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत वर्षा के एक-एक बूंद को सहेजने का प्रयास किया गया. प्रदेश में पहली बार वर्षा जल को सहेजने का बड़े स्तर पर अभियान चला. इससे भविष्य में भू-जल की निर्भरता कम होगी और पानी की हर बूंद का उपयोग होगा.

हमने प्रधानमंत्री के मिशन लाइफ मंत्र को आत्मसात किया और अपनी जीवन शैली में बदलाव करके पर्यावरण रक्षा का सूत्र हाथ में लिया है. इससे जन-जन में पर्यावरण मित्र के रूप में जीवन जीने की परंपरा निर्मित हुई है. प्रदेशवासी मिशन लाइफ के अनुसार प्रकृति के साथ प्रगति पथ पर आगे बढ़ेंगे. प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश में पहली बार रि-यूज वाटर पोर्टल निर्मित किया जा रहा है. यह पहल प्रदेश में जल संरक्षण और पुनः उपयोग की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. इस तरह, प्रदेश जल प्रबंधन के लिए तीन सिद्धांत री-यूज, रीड्यूज और री-साइकल पर आधारित रणनीति बनाकर काम कर रहा है.

यह हमारा सौभाग्य है कि मध्यप्रदेश की धरती प्रकृति की विपुल सम्पदा से समृद्ध है. यह मां नर्मदा, शिप्रामईया, ताप्ती और बेतवा सहित लगभग 267 नदियों का मायका है. प्रदेश में पहली बार नदियों को निर्मल और अविरल बनाने के लिए 145 से अधिक नदियों के उद्गम को चिन्हित किया गया और साफ-सफाई के साथ पौधरोपण की शुरुआत हुई है. नदियों के तट पर पौधरोपण की यह पहल नदियों को उनके मायके में हरि चुनरी ओढ़ाने का प्रयास है.

प्रदेश में पहली बार जल सरंक्षण के साथजल समृद्धि की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण की पहल की गई. इसके तहत, राजाभोज के बसाये भोपाल की ऐतिहासिक धरोहर बड़े बाग की बावड़ी को सहेजने और पुनर्जीवित करने का कार्य किया गया. मुझे यह बताते हुए खुशी है कि इस अभियान के अंतर्गत हमने 200 वर्ष पहले लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनाई गई होलकर कालीन बावड़ी को जीर्णोद्धार उपरांत नया स्वरूप प्रदान किया है. इस बावड़ी का लोकर्पण करते हुए मुझे यह महसूस हुआ कि हम माता अहिल्या के लोक कल्याण के युग में पहुंच गये हैं. बावड़ियां हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर हैं, इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रदेश भर में दो हजार से अधिक बावड़ियों को पुनर्जीवित करते हुए बावड़ी उत्सव मनाया गया.

माननीय प्रधानमंत्री ने हमारी युवा शक्ति को जल सैनिक बनाने का आह्वान किया था. इस अभियान में एमपी में पहली बार 2.30 लाख जल दूत बनाये गये. मुझे पूर्ण विश्वास है कि पानी बचाने के लिए यह अमृत मित्र भविष्य में जल सुरक्षा के अग्रदूत बनेंगे. प्रदेश में पहली बार डेढ़ लाख से अधिक कृषकों ने सभी विकासखंडों में 812 पानी चौपाल का आयोजन किया. इसमें किसानों ने अपने गांव के खेतों, जल स्रोतों के संरक्षण, संवर्धन और पुरानी जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार पर विचार विमर्श किया.

प्रदेश में पहली बार खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में रोकने के लिए खेत तालाबों का चयन सिपरी सॉफ्टवेयर से किया गया. अभियान में 83 हजार से अधिक बनने वाले खेत-तालाबों से प्रदेश के अन्नदाता में नई उम्मीद जागी है. अब वे अपने खेत में एक नहीं, कई फसलें ले सकते हैं. खेत तालाब के अलावा, अमृत सरोवर और डगवेल रिचार्ज बनाने में भी सिपरी सॉफ्टवेयर, एआई और प्लानर सॉफ्टवेयर जैसी तकनीक का उपयोग किया गया है. इस तकनीक से निर्धारित लक्ष्य को समय रहते प्राप्त करने में आसानी हुई है और गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया गया है. इसके लिए नियमित जानकारी प्राप्त करने के लिए डैशबोर्ड डाटा को एआई के माध्यम के उपयोग से अभियान की प्रगति में सुधार और गति दी गई.

इस अभियान में प्रदेश के नगर-नगर और गांव-गांव में जल स्रोतों को शुद्ध और उपयोगी बनाने का कार्य चला, अनेक पोखर और बावड़ियों को पुनर्जीवन प्राप्त हुआ. यह सरकार और समाज का संयुक्त प्रयास है. मुझे पूर्ण विश्वास है कि पानी की बूंद-बूंद सहेजने का जो प्रयत्न किया गया है, वो हमारे किसान भाईयों के लिए पारस पत्थर का काम करेगा. सूखे खेत हरे-भरे होंगे, सुनहरी फसलें लहलहायेंगी. हमारा किसान समृद्ध होगा और मध्यप्रदेश की धरती समृद्ध होगी.

वर्षा के जल को संग्रहित करने और पुराने जल स्रोतों के जीर्णोद्धार के लिए यह अभियान चलाया गया. इस अभियान की सफलता का सबसे बड़ा आधार है जनभागीदारी. सरकार,शासन-प्रशासन, समाजसेवी और प्रदेश के आमजन ने इस अभियान में सहभागिता निभाई है. जल गंगा संवर्धन अभियान के बाद अब पौधरोपण का व्यापक अभियान चलाया जायेगा.

मुझे खुशी है कि जल गंगा संवर्धन अभियान शासन के साथ जनता के लिए जनता का अभियान बन गया है. इस अभियान ने जनआंदोलन का स्वरूप ले लिया है. प्रदेश ने यह प्रमाणित किया है कि यदि सरकार और जनता मिलकर कार्य करें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं... किसानों, महिलाओं, युवाओं और विद्यार्थियों ने जल संरक्षण को जीवन का मंत्र बना लिया है. इससे समाज में जल संरक्षण का भाव और भागीदारी का मानस विकसित हुआ है. इस अभियान ने हम सभी के मन को एक नये संकल्प और ऊर्जा से भर दिया है. यह अभियान केवल जल संरक्षण का कार्य नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और भविष्य की सुरक्षा का वह सूत्र है, जिससे प्रदेश की समृद्धि जुड़ी है.

“अद्भिः सर्वाणि भूतानि जीवन्ति प्रभवन्ति च.” महाभारत के शांति पर्व का यह श्लोक जल के महत्व और जीवन में इसकी भूमिका को दर्शाता है. मैं प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता से पानी की बूंद-बूंद बचाने और जल समृद्ध राज्य बनाने का आह्वान करता हूं.

आईये, हम सब मिलकर पानी की हर बूंद बचाने का संकल्प लें, जल संरक्षण और संवर्धन के कार्य को आगे बढ़ायें. मुझे उम्मीद है कि जल गंगा संवर्धन अभियान प्रदेश में जल की प्रचुर उपलब्धता और भावी पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगी.

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डॉ मोहन यादव, लेखक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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