विज्ञापन
This Article is From Feb 28, 2024

MP में अजब-गजब घोटाला : जिंदा को मुर्दा बनाकर निकाल रहे हैं करोड़ों, जानिए कैसे?

अजब-गजब मध्यप्रदेश में नया अजब-गजब घोटाला सामने आया है. यहां ज़िंदा मजदूरों को मुर्दा बता कर 2-2 लाख की सहायता राशि ट्रांसफर करा लिए जा रहे हैं...फर्जीवाड़ा करने वालों की हिम्मत तो देखिए जिन्हें मुर्दा बताया जा रहा है उन्हें ही नॉमिनी भी बना दिया जा रहा है...कुछ मामलों में शख्स जिंदा है लेकिन उसे मरा हुआ बता कर किसी और ने पैसे हड़प लिए और जिंदा शख्स अपने हक के पैसों के लिए दर-दर गुहार लगा रहा है.

MP में अजब-गजब घोटाला : जिंदा को मुर्दा बनाकर निकाल रहे हैं करोड़ों, जानिए कैसे?

Scam in Madhya Pradesh:अजब-गजब मध्यप्रदेश में नया अजब-गजब घोटाला सामने आया है. यहां ज़िंदा मजदूरों को मुर्दा बता कर 2-2 लाख की सहायता राशि ट्रांसफर करा लिए जा रहे हैं...फर्जीवाड़ा करने वालों की हिम्मत तो देखिए जिन्हें मुर्दा बताया जा रहा है उन्हें ही नॉमिनी भी बना दिया जा रहा है...कुछ मामलों में शख्स जिंदा है लेकिन उसे मरा हुआ बता कर किसी और ने पैसे हड़प लिए और जिंदा शख्स अपने हक के पैसों के लिए दर-दर गुहार लगा रहा है.ऐसा करके घोटालेबाज करोड़ों का वारा-न्यारा कर रहे हैं और सरकार अनजान बनते हुए जांच का आश्वासन दे रही है. फिलहाल NDTV के स्थानीय संपादक अनुराग द्वारी ने भोपाल में जो तफ्तीश की उससे चौंकाने वाले खुलासे हुए. इससे आप पूरे प्रदेश में हालात का अंदाजा लगा सकते हैं...हम आपके सामने घोटाले की परत दर परत रखेंगे लेकिन पहले ये जान लीजिए ये योजना है क्या?

दरअसल साल 2003 से मध्य प्रदेश में कामगारों के लिये मप्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल बना हुआ है. इस मंडल का काम विपत्ति समय मजदूरों का सहायता देना है.राज्य में 90 प्रतिशत से अधिक श्रमिक असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं जिसमें बड़ी संख्या निर्माण से जुड़े श्रमिकों की है. इन्हीं श्रमिकों के लिये मंडल काम के दौरान मृत्यु और दुर्घटना होने पर अंत्येष्टि के लिये 2 लाख की सहायता देता है. पंजीकृत श्रमिक की दुर्घटना में स्थायी या आंशिक अस्थायी चोट लगने पर भी अनुग्रह राशि दी जाती है. इसे संबल 2.0 के नाम से जाना जाता है जिसे मुख्यमंत्री जन कल्याण योजना के तहत चलाया जा रहा है. 

Latest and Breaking News on NDTV

अब बात इस शानदार योजना में हो रहे घोटाले की. ये तफ्तीश उन कागजी मुर्दा लोगों की है जो जिंदा हैं और लेकिन उन्हें सरकारी कागजों में मार दिया गया है. अपनी पड़ताल में हम सबसे पहले पहुंचे भोपाल के चांडबड़ इलाके में. यहां बुजुर्ग उर्मिला बाई रहती हैं. उनका 12 लोगों का परिवार है लेकिन जो कागज उनके हाथ में उसके हिसाब से उनकी मौत हो चुकी है. सरकारी कागजों के मुताबिक पिछले साल जुलाई में उर्मिला की मौत हो गई और सहायता राशि के 2 लाख रुपये उन्हें मिल भी गए. जब हमने उनसे इस बाबत सवाल पूछा तो उनके चेहरे पर मजबूरी वाली हंसी दिखाई दी. वे कहती हैं मैं लोगों के घरों में चौका-बर्तन करती थी. अटैक आया तो काम छोड़ दिया...क्या हुआ मेरे मरने के बाद ये पैसे मिलते...अभी मिल गए तो बच्चों के काम आ गए.

मैं मरी नहीं जिंदा हूं, भैया इन लोगों ने मुझे समग्र पोर्टल पर मार डाला. चूंकि नॉमिनी भी मैं ही थी तो मुझे पैसे मिल गए

उर्मिला रैकवार

श्रमिक

इस कहानी से हो सकता है कि आप सिस्टम पर हंसे, तरस खाएं या गुस्सा करें लेकिन तमाम ऐसे लोग हैं जिन्हें पता ही नहीं कि उनके नाम पर इसी सिस्टम में क्या-क्या खेल हो रहे हैं ? चांडबड़ इलाके से हम आगे बढ़े तो 2-3 किलोमीटर दूर हमें पुष्पा नगर इलाके में मोहम्मद कमर मिले.वे 80 फीट रोड पर रहते हैं. पिछले साल सरकारी कागज में मोहम्मद कमर की मौत हुई, 21 जून को मोहम्मद कमर जी को ही 2 लाख की अनुग्रह राशि मिल गई. इस मोर्चे पर तो वे खुश हैं लेकिन दूसरे मोर्चे पर वे दुखी हैं. उनकी बेटी की शादी पर श्रमिक कार्ड से ही 51 हजार रुपये मिलने थे जो आजतक नहीं मिले. वे कहते हैं कि कागजों की गड़बड़ी की जांच करने की अर्जी लगाता हूं लेकिन सुनवाई नहीं होती. हम अपना कागज कहीं नहीं दे सकते, किसी पर भरोसा नहीं कर सकते. 

Latest and Breaking News on NDTV

अब इस घोटाले का दूसरा पहलू भी आपको बताते हैं. अब तक जो लोग हमें मिले वे तो कागजी मुर्दा हैं लेकिन जो जिंदा हैं जिन्होंने योजना के तहत आवेदन दिया उनको मदद नहीं मिली. ऐसी ही महिला हैं लीला बाई. वे जहांगीराबाद इलाके में रहती हैं. उनकी बेटी मुमोबाई की मौत हो चुकी है, उनके नाम पर भी किसी ने 2 लाख रुपये निकाल लिये. अब लीलाबाई परेशान हो रही हैं. वे बताती हैं कि नगर निगम से फोन आया और अधिकारी भी आए और कहा- आपने योजना के तहत 2 लाख रुपये लिए हैं वो कहां हैं. मैं उनसे कहती हूं कि मैंने किसी योजना में अप्लाई नहीं किया.

वे कहती हैं कि मैं नगर निगम के अधिकारियों से पूछती हूं कि वे हमें  हमारे डॉक्यूमेंट और दस्तख़त दिखाएं यदि हमने पैसे लिए हैं तो. हम अपनी बेटी खोने से पहले ही दुखी है लेकिन निगम हम जैसे बेगुनाहों को ही परेशान कर रहा है.


 

NDTV की टीम ने 118 फाइलों की जांच की और भी गड़बड़ियां सामने आईं. जुलाई 2023 में ही नगर निगम के पास गड़बड़ी की शिकायत पहुंच गई थी. तब 90 संदिग्ध फाइलों का पता चला लेकिन मूल नस्ती वाली सिर्फ 37 फाइलें मिलीं, 53 का पता नहीं चला. लगभग ढाई करोड़ का घोटाला तो सिर्फ एक नगर निगम में सामने आया है तो आप समझ सकते हैं कि पूरे मध्यप्रदेश में जाने इस घोटाले की परतें कितनी गहरी होंगी? हालांकि सरकार कहती हैं कि वो जांच कराएगी. 

मोहन यादव सरकार में डिप्टी CM राजेंद्र शुक्ला कहते हैं कि अगर कहीं ऐसा फर्जीवाड़ा हुआ है तो इसकी जांच की जाएगी और जो भी इनके दोषी है इनपर सख़्त से सख़्त कार्रवाई होगी. हमारी सरकार में किसी को भी इस तरह के कृत्य करने का अधिकार नहीं है. इसकी जाँच होगी और दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा. चाहे योजना कोई भी हो जनता के साथ हम खिलवाड़ नहीं होने देंगे और यही हमारी सरकार का उद्देश्य है. 

  दरअसल ये पूरा पैसा गरीब श्रमिकों के हक का पैसा है जिसकी परवाह नेताओं के भाषणों में तो खूब होती है लेकिन हकीकत कब उनका हक उन्हें मिलेगा ये किसी को पता नहीं है.

ये भी पढ़ें: मोहन सरकार में जनप्रतिनिधि की भी नहीं सुनते अफसर? विधायक जी को करनी पड़ी SDM साहब की चरण वंदना...

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close