
Satna News: आजादी के 75 वर्ष बाद भी ग्राम पंचायत गुलुवा के अंतर्गत आने वाला गुलुवा गांव बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है. गांव में समर बहादुर सिंह के घर से नदी तक जाने वाला मुख्य मार्ग आज तक पक्का नहीं बन पाया है. बरसात के मौसम में यह रास्ता कीचड़ और पानी से लबालब भर जाता है, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्कूल जाने वाले बच्चों को रोज़ाना कीचड़ में नंगे पैर चलना पड़ता है. रास्ते की हालत ऐसी हो चुकी है कि वाहन चलाना जोखिम भरा हो गया है. हाल ही में एक बाइक सवार कीचड़ में फिसलकर गिर गया, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. गांव वासियों का कहना है कि बरसात में यह रास्ता जानलेवा बन जाता है — बच्चों की पढ़ाई और बीमारों की जिंदगी पर संकट मंडराने लगता है.
ग्रामीणों की पीड़ा
गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बीमार लोगों को अस्पताल ले जाना एक बड़ा संकट बन चुका है. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 20 वर्षों में केवल एक बार इस मार्ग पर मिट्टी डाली गई थी, जो अब पूरी तरह बह चुकी है और रास्ता गहरे गड्ढों में तब्दील हो चुका है.
वहीं एक स्कूली छात्रा की माँ मोनू कुशवाहा बताती हैं कि “बेटी को हर रोज़ स्कूल भेजने से डर लगता है. कीचड़ में फिसलकर गिरने का डर बना रहता है, और कई बार कपड़े भी खराब हो जाते हैं.” एक युवा ग्रामीण उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि “बीस साल से सुन रहे हैं कि रास्ता बनेगा, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. चुनाव के समय नेता आते हैं, बाद में कोई नहीं दिखता.”
प्रशासन से क्या है मांग?
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि बरसात से पहले इस मार्ग पर या तो मुरमीकरण किया जाए या फिर सीसी रोड का निर्माण कराया जाए, जिससे गांव की आम जनता को राहत मिल सके. स्थानीय लोगों का आरोप है कि चुनावों के समय वादे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन काम के नाम पर गांव को हमेशा नजर अंदाज कर दिया जाता है.
अब देखना यह है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस गंभीर समस्या पर कब तक ध्यान देते हैं.
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