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This Article is From Feb 15, 2024

राज्यसभा चुनाव: मप्र में बीजेपी का ओबीसी-दलित कार्ड,कांग्रेस ने खेला यादव कार्ड

लोकसभा चुनावों से पहले मध्यप्रदेश में जातियों के गणित को सुलझाने के लिए राज्य के दोनों प्रमुख दलों ने राज्यसभा चुनाव में अपने-अपने कार्ड खेले हैं. बीजेपी ने दलित-ओबीसी और कांग्रेस ने यादव-ओबीसी कार्ड खेला है.विधानसभा में अपने पर्याप्त संख्याबल के बूते बीजेपी ने दो दलित और दो ओबीसी उम्मीदवारों को चुना है,वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने बीजेपी के दिसंबर 2023 के यादव कार्ड का जवाब 27 फरवरी के राज्यसभा चुनाव के दौरान अपने यादव कार्ड के जरिये दिया है.

राज्यसभा चुनाव: मप्र में बीजेपी का ओबीसी-दलित कार्ड,कांग्रेस ने खेला यादव कार्ड

Rajya Sabha elections: लोकसभा चुनावों से पहले मध्यप्रदेश में जातियों के गणित को सुलझाने के लिए राज्य के दोनों प्रमुख दलों ने राज्यसभा चुनाव में अपने-अपने कार्ड खेले हैं. बीजेपी ने दलित-ओबीसी और कांग्रेस ने यादव-ओबीसी कार्ड खेला है.विधानसभा में अपने पर्याप्त संख्याबल के बूते बीजेपी ने दो दलित और दो ओबीसी उम्मीदवारों को चुना है,वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने बीजेपी के दिसंबर 2023 के यादव कार्ड का जवाब 27 फरवरी के राज्यसभा चुनाव के दौरान अपने यादव कार्ड के जरिये दिया है. 

बीजेपी का ओबीसी-दलित कार्ड

बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री डॉ.एल मुरुगन (जो तमिलनाडु में एससी अरुंथथियार समुदाय से आते हैं) को फिर से उम्मीदवार बनाया है, दूसरे श्री क्षेत्र वाल्मिकी धाम के पीठाधीश्वर उमेश नाथ महाराज पर दांव खेला है.उमेश नाथ को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और आरएसएस के शीर्ष नेताओं का करीबी माना जाता है. उमेश नाथ महाराज वाल्मिकी समुदाय के दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्हें बीजेपी दो साल में मध्यप्रदेश से राज्यसभा में भेज रही है, 2022 में बीजेपी की जो दो महिला राजनेता मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए चुनी गईं, उनमें जबलपुर से सुमित्रा वाल्मिकी भी शामिल हैं.

इसके अलावा,राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने दो और लोगों को नामांकित किया है. दोनों ओबीसी वर्ग से हैं. एक पार्टी की राज्य महिला विंग प्रमुख और नर्मदापुरम जिले से प्रमुख जाट नेता माया नारोलिया और दूसरे पार्टी के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बंसीलाल गुर्जर (जो मालवा क्षेत्र के मंदसौर जिले से हैं). मध्य प्रदेश में मालवा क्षेत्र की कई लोकसभा सीटों पर जाट समुदाय की महत्वपूर्ण उपस्थिति है,

वहीं ग्वालियर-चंबल (राजस्थान से सटे) की मुरैना लोकसभा सीट और निमाड़ क्षेत्र के खरगोन-खंडवा क्षेत्र के कुछ हिस्सों में गुर्जर ताकतवर हैं.राज्यसभा चुनाव के लिए तीन अप्रत्याशित चेहरों को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी  ने न केवल विधानसभा चुनाव में हारने वाले बड़े नेताओं यानी पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और लाल सिंह आर्य को संसद के उच्च सदन में भेजने की अटकलों पर विराम लगा दिया है, बल्कि उम्मीदवारों के नाम तय करते समय चौंकाने वाले परंपरा को जारी रखा है.

कांग्रेस का यादव कार्ड

बीजेपी ने डॉ. मोहन यादव को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर यूपी और बिहार की राजनीति को प्रभावित करने की मंशा से यादव कार्ड खेला तो इसके दो महीने बाद, कांग्रेस ने भी अपनी राज्य इकाई के कोषाध्यक्ष और ग्वालियर-चंबल के यादव राजनेता को अशोक सिंह को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है.

अशोक सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्य पार्टी प्रमुख कमल नाथ का करीबी माना जाता है. हालांकि ग्वालियर सीट से वो लगातार चार लोकसभा चुनाव हार गए थे.अशोक सिंह को राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार के रूप में नामित करके, कांग्रेस ने दो ओबीसी नेताओं - पूर्व राज्य पार्टी प्रमुख अरुण यादव और वर्तमान पीसीसी चीफ जीतू पटवारी - या पार्टी के दिग्गज नेता कमल नाथ को मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजे जाने की अटकलों को समाप्त कर दिया है.

अशोक सिंह ग्वालियर में रियल एस्टेट और होटल व्यवसाय में हैं और उनके राज्यसभा में पहुंचने से कम से कम ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के खजाने पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर जब कांग्रेस इस वक्त फंड की कमी से जूझ रही है. विधानसभा में मौजूदा संख्या (163 बीजेपी और 66 कांग्रेस) के मुताबिक बीजेपी  को पांच में से चार सीटें मिलनी तय हैं, जबकि कांग्रेस को राज्यसभा चुनाव में मध्य प्रदेश से एक सीट मिल जाएगी.

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