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PM मोदी 11 फरवरी को करेंगे टंट्या भील विश्वविद्यालय का शुभारंभ, इन 5 आदिवासी क्षेत्र के 83 कॉलेज होंगे संबद्ध

MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय खरगोन के अर्थशास्त्र के प्राध्यापक डॉ जी एस चौहान को वर्तमान कर्त्तव्यों के साथ विश्वविद्यालय खरगोन के कुलसचिव का अतिरिक्त कार्यभार सौपने संबंधी आदेश भी जारी कर दिये है.

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PM मोदी 11 फरवरी को करेंगे टंट्या भील विश्वविद्यालय का शुभारंभ, इन 5 आदिवासी क्षेत्र के 83 कॉलेज होंगे संबद्ध

Prime Minister Narendra Modi in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के खरगोन में क्रांतिसूर्य टंटया भील विश्वविद्यालय (Krantisurya Tantya Bhil University) शुरू होगा. मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने आदेश जारी कर विश्वविद्यालय की स्थापना एवं सत्र 2024-25 से ही इसके परिचालन की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Madhya Pradesh) डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है. वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister Office) यानी पीएमओ (PMO) से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) 11 फरवरी, 2024 को मध्य प्रदेश का दौरा करेंगे. इस दौरान पीएम मोदी (PM Modi)  झाबुआ (PM Modi in Jhabua, Madhya Pradesh) में लगभग 7500 करोड़ रुपये की अनेक विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे. इन्हीं लोकार्पण और शिलान्यास के कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री मोदी टंट्या मामा भील विश्वविद्यालय (Tantya Mama Bhil University) की आधारशिला रखेंगे. यह एक ऐसा विश्वविद्यालय होगा, जो यहां के क्षेत्र में उच्च जनजातीय बहुलता वाले जिलों के युवाओं को सुविधाएं प्रदान करेगा.

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मध्य प्रदेश कैबिनेट की 13 फरवरी को होने वाली बैठक (Cabinet Meeting) में अनुमोदन प्रस्ताव प्रस्तुत किया जायेगा. अनुमोदन के बाद चालू विधानसभा सत्र में इसे पारित कर अधिनियम के रूप में अधिसूचित करते हुए विश्वविद्यालय की स्थापना विधिक रूप से म.प्र. विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के अंतर्गत की जाएगी.

इनको मिला कुलसचिव का प्रभार

मध्य प्रदेश सरकार ने शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय खरगोन के अर्थशास्त्र के प्राध्यापक डॉ जी एस चौहान को वर्तमान कर्त्तव्यों के साथ विश्वविद्यालय खरगोन के कुलसचिव का अतिरिक्त कार्यभार सौपने संबंधी आदेश भी जारी कर दिये है.

क्रांतिसूर्य टंटया भील विश्वविद्यालय खरगोन के क्षेत्राधिकार में 5 जिले रहेंगे. इसमें खरगोन, बड़वानी, खण्डवा, बुरहानपुर तथा अलीराजपुर जिले के 83 महाविद्यालय सम्बद्ध होंगे. इससे 25 हजार 500 विद्यार्थी लाभान्वित होंगे. अब इन जिलों के 83 कॉलेज देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर की संबद्धता से मुक्त होंगे. विश्वविद्यालय की स्थापना शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, खरगोन का उन्नयन कर की जा रही है. सत्र 2024-25 से इस विश्वविद्यालय का परिचालन उक्त महाविद्यालय के भवन एवं परिसर का उपयोग कर प्रारंभ कर दिया जाएगा.

भवन निर्माण में लगभग 200 करोड़ रूपये का होगा खर्च

विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में लगभग 200 करोड़ रूपये का व्यय भार आएगा. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के मापदण्ड अनुसार इन विश्वविद्यालयों के लिए शैक्षणिक पद सृजित किए जाएंगे. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (National Education Policy 2020) की अपेक्षानुसार विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के नवीनतम क्षेत्रों के लिए पाठयक्रम प्रारंभ हो, शिक्षण में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाए. यह दृष्टिगत करते हुए कि यह विश्वविद्यालय जनजातीय क्षेत्र में है, विद्यार्थियों के कौशल उन्नयन के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे.

अब जानिए कौन हैं टंट्या मामा भील

सन् 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी वीरों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में मध्यप्रदेश के जनजातीय समाज के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी टंट्या भील का नाम बड़े सम्मान एवं आदर के साथ लिया जाता है. जनजातीय समाज के इस महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को भारत का रॉबिनहुड भी कहा जाता है. दिलचस्प पहलू यह है कि टंट्या भील की वीरता, साहस और अप्रतिम स्वतंत्रता भाव से संकट में आये अंग्रेजी शासन के नुमाइंदों ने ही जननायक टंट्या भील को "भारतीय रॉबिनहुड" की उपाधि दी थी.

टंट्या भील का जन्म सन् 1840 में तत्कालीन मध्य प्रांत के पूर्वी निमाड़ (खंडवा जिले) की पंधाना तहसील के बडदाअहीर गाँव में श्री भाऊसिंह भील के घर पर हुआ था. कहीं-कहीं पर सन् 1842 में इनके जन्म का उल्लेख भी मिलता है.

टंट्या भील का वास्तविक नाम तॉतिया था. उन्हें प्यार से टंट्या मामा के नाम से भी बुलाया जाता था. उन्हें सभी आयु वर्ग के लोगों द्वारा आदरपूर्वक "मामा" कहा जाता था. उनका "मामा" नाम का यह संबोधन इतना लोकप्रिय हुआ कि भील जनजाति के लोग आज भी उन्हें “मामा' कहने पर गर्व महसूस करते हैं. टंट्या भील बचपन से साहसी एवं होशियार थे. वह एक महान निशानेबाज और पारंपरिक तीरंदाजी में दक्ष होने के साथ ही गुरिल्ला युद्ध में अत्यंत निपुण थे. उनको बंदूक चलाना भी आता था. टंट्या भील अदम्य साहस असाधारण चपलता, अद्भुत कौशल के धनी माने जाते थे.

टंट्या ने बहुत ही कम उम्र में अंग्रेजों के आतंक का सामना किया तथा अपने वीरता पूर्वक कारनामों से अंग्रेजों के छक्के छुड़ाकर भील, भिलाला एवं क्षेत्रीय लोगों के मसीहा बन गये. मध्यप्रदेश के जनजातीय समाज के गौरव एवं महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी टंट्या भील की वीरता की कहानी को स्थानीय लोगों ने अपनी बोली में "गीतों" में भी पिरोया है.

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