Madhya Pradesh News in Hindi : यूं तो शहद गुणों का खजाना है, लेकिन यह शहद (Organic Honey News) बैतूल के आदिवासियों की ज़िंदगी में मिठास भी भर रही है. जी हां वन विभाग (MP Forest Department) ने 10 गांव के 200 आदिवासी परिवारों को तैयार किया है. अब यही आदिवासी आर्गनिक शहद तोड़कर अपने परिवार के जीवन में शहद की मिठास घोलकर रहे हैं. बीते साल इन आदिवासियों ने 80 क्विंटल शहद बेचा था, और इस साल इनका लक्ष्य 150 क्विंटल का है.
शहद की कमाई से बनावा रहे मकान
जान जोखिम में डालकर पेड़ पर चढ़ा यह आदिवासी शख्स है राजू सेलुकर है, जिसकी टीम में 5 लोग शामिल हैं. यह सभी 17 -18 सालों से शहद तोड़ने का काम करते हैं. महज 15 दिनों में इनकी टीम ने 5 क्विंटल शहद जमाकर लिया है. टीम को उम्मीद है कि इस साल एक-एक सदस्य 50 से 60 हजार रुपये कमा लेगा. जिससे मकान, गाड़ी ,खेत के खाद-बीज के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे.
इस बार 120 क्विंटल का लक्ष्य
वन विभाग से मिली शहद तोड़ने की ट्रेनिंग और किट ने आदिवासियों की ज़िंदगी बदल दी है. सीज़न में यह आदिवासी शहद तोड़कर वन समिति में देते हैं. जहां से उन्हें अच्छा पैसा मिल जाता है. पश्चिम वन मंडल की नान्दा समिति आदिवासियों से शहद लेकर वन मेलों के अलावा विंध्य हर्बल सोसायटी को देते हैं जो कि इसे अच्छे दामों में बाज़ार में बेचते हैं. नान्दा समिति में कुल 10 गांव की 40 समितियां हैं जिसमें हर समिति में 5 से 6 मेंबर कार्य करते हैं. बीते साल 80 क्विंटल शहद जमा किया था. इस साल 100 से 120 क्विंटल का लक्ष्य रखा गया है. पहले आदिवासी यह शहद बिचौलियों को 150 रुपये किलो बेच देते थे. वन विभाग आर्गनिक शहद होने की वजह से वन विभाग 225 रुपये किलो एमएसपी पर खरीद रहा है जिससे इन्हें ज़्यादा मुनाफा मिल रहा है.
अबतक 42 बाइक खरीदी जा चुकी
अधिकारियों की मानें तो उनका कहना है कि आदिवासी परिवारों में ये बदलाव ने एक इबारत लिखनी शुरु कर दी है. बता दें ग्रामीणों ने अब तक 42 मोटर साइकिल,5 ट्रैक्टर,1 ऑटो ,37 ने अपने पक्के घर बच्चों की पढ़ाई और 20 परिवारों ने शादी कर दी है.
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