
Gwalior Politics: मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दिनों ग्वालियर-चंबल इलाका सुर्खियों में है और वजह हैं महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया. दरअसल डेढ़ साल बाद सिंधिया ने ग्वालियर कलेक्ट्रेट में विकास कार्यों को लेकर बैठक में शिरकत की. लेकिन, ये कोई मामूली बैठक नहीं थी, बल्कि इसे बीजेपी की अंदरूनी कलह का खुला प्रदर्शन माना जा रहा है. बैठक में ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर, मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा, और यहां तक कि कांग्रेस से राज्यसभा सांसद अशोक सिंह भी मौजूद थे. मगर एक शख्स की गैर-मौजूदगी ने सबसे बड़ा सवाल खड़ा कर दिया. वो है खुद ग्वालियर के सांसद, भारत सिंह कुशवाहा. सूत्रों की मानें तो वो बैठक से इसलिए गायब थे क्योंकि उन्हें बीजेपी आलाकमान ने भोपाल में ही रहने की हिदायत दी थी.
क्यों बनी ऐसी स्थिति?
दरअसल, डेढ़ साल पहले सिंधिया इसी तरह की बैठक में आए थे तो भारत सिंह कुशवाहा ने ही विरोध करते हुए कहा था कि सिंधिया गुना-शिवपुरी के सांसद हैं, ग्वालियर के नहीं. इसके बाद सिंधिया ने ग्वालियर से दूरी बना ली थी. लेकिन अब ऐसा कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री और केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें इस इलाके में अपनी सक्रियता बढ़ाने का आदेश दिया है. यह सारा ड्रामा शुरू हुआ था, जब ग्वालियर की सड़कों और सीवरेज को लेकर शिवराज सरकार की खूब किरकिरी हुई. सिंधिया समर्थक और ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर तो कैबिनेट की बैठक में ग्वालियर को "नर्क" तक बता चुके हैं. मुख्यमंत्री ने उन्हें चुप कराने की कोशिश की, पर तोमर डटे रहे. बाद में प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ने भी उनका समर्थन किया.
शक्ति प्रदर्शन का नया अध्याय
यह सब कलेक्ट्रेट बैठक से दो दिन पहले ही शुरू हो गया था, जब सिंधिया ने मुरैना में शक्ति प्रदर्शन किया. यह इलाका विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का गढ़ माना जाता है, और सिंधिया का वहाँ जाना एक स्पष्ट संदेश था. उधर, सिंधिया समर्थकों का दर्द भी उभरकर सामने आ रहा है. कांग्रेस में रहने के दौरान सिंधिया के बिना इस अंचल में पत्ता भी नहीं हिलता था, लेकिन बीजेपी में वे खुद को बंधा हुआ महसूस कर रहे हैं. हाल ही में, प्रद्युमन सिंह तोमर ने सिंधिया से कहा था कि "महाराज, ग्वालियर में विकास का पहिया रुक गया है, आप ही नेतृत्व संभालो." इसके बाद सिंधिया ने कैबिनेट में ग्वालियर को "नर्क" बताकर सियासी माहौल और गर्म कर दिया.अब इस बैठक में प्रभारी मंत्री की मौजूदगी और ग्वालियर सांसद की गैर-हाज़िरी यही इशारा करती है कि बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ग्वालियर की सियासत किस करवट बैठती है.
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