Madhya Pradesh Latest News: हाई कोर्ट (High Court) ने पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन (Gauri Shankar Bisen) की एक याचिका निरस्त कर दी है, इस याचिका के जरिये उनके खिलाफ ग्वालियर (Gwalior) की विशेष कोर्ट (Special Court) में विचाराधीन मानहानि के परिवाद को चुनौती दी गई थी. बिसेन की ओर से परिवाद निरस्त करने की मांग करते हुए याचिका दायर की गई थी. न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा परिवाद में स्पष्ट आरोप हैं कि बिसेन ने सार्वजनिक सभा में शिकायतकर्ता के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी. उनके आरोप के पक्ष में दो गवाहों ने भी बयान दर्ज कराए हैं. इस मत के साथ कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है.
मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में है लंबित
जिला सहकारी बैंक पन्ना के तत्कालीन अध्यक्ष संजय नगाइच ने 15 मई, 2014 को ग्वालियर की ट्रायल कोर्ट के समक्ष बिसेन सहित पांच अन्य के विरुद्ध मानहानि का परिवाद पेश किया था. उन्होंने आरोप लगाए थे कि बिसेन ने एक आमसभा में उनके विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए उन्हें चोर कहकर संबोधित किया था. इससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई है. संजय नागायच के आरोप को सपोर्ट करते हुए दो गवाहों योगेन्द्र चौबे व अरुण चौरसिया ने ट्रायल कोर्ट में अपने बयान दर्ज कराए हैं. मामला एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट ग्वालियर में लंबित है.
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2019 में दायर की गई थी याचिका
बिसेन ने उक्त परिवाद को निरस्त करने की मांग को लेकर वर्ष 2019 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. बिसेन की ओर से दलील दी गई कि उनकी शिकायतकर्ता के साथ पुरानी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है. तर्क दिया गया कि शिकायतकर्ता ने परिवाद में यह स्पष्ट नहीं किया है कि आमसभा कब और कहां हुई थी और दुर्भावनावश ये परिवाद दायर किया गया है. बिसेन सहकारिता मंत्री थे और उन्होंने संजय के खिलाफ सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के मामले में कार्रवाई की थी. इसलिए पुरानी रंजिश मानने के कारण मानहानि का परिवाद दायर किया गया है.
वहीं शिकायतकर्ता की ओर से दलील दी गई कि यह तय करना ट्रायल कोर्ट का अधिकार है कि मानहानि का परिवाद प्रचलन योग्य है या नहीं. सुनवाई के बाद कोर्ट ने बिसेन की याचिका निरस्त कर दी.