Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. अब पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध नहीं माना जाएगा. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस आहलूवालिया ने अपने अहम फैसले में कहा है कि पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. एकलपीठ ने एक मामले में पति के खिलाफ दर्ज धारा 377 तथा 506 के तहत दर्ज की गयी एफआईआर को निरस्त करने के आदेश जारी भी जारी किए हैं.
2019 में हुई थी शादी
याचिकाकर्ता पति की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसकी शादी मई 2019 में नरसिंहपुर निवासी युवती से हुई थी. उसकी पत्नी साल 2020 से अपने मायके में है. इस दौरान पत्नी ने उसके और उसके परिजनों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज करवाया था, जो अभी लंबित है.
तलाक के लिए किया था आवेदन
जिसके बाद उसने भी तलाक की मांग करते हुए कुटुम्ब न्यायालय जबलपुर में आवेदन दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि पत्नी ने उसके खिलाफ जुलाई 2022 में अप्राकृतिक यौन शोषण करने का आरोप लगाते हुए नरसिंहपुर में एफआईआर दर्ज करवाई थी.
नरसिंहपुर पुलिस ने शून्य के तहत प्रकरण दर्ज कर कोतवाली थाना जबलपुर स्थानांतरित कर दिया. पुलिस ने पत्नी की शिकायत पर उसके खिलाफ धारा 377 तथा 506 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया था. एफआईआर में कहा गया था कि विवाद के बाद उसने कई बार महिला के साथ अप्राकृतिक तरीके से यौन शोषण किया. पत्नी द्वारा पूर्व में दर्ज कराई गई एफआईआर में इसका उल्लेख नहीं किया गया है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि वयस्कों के बीच सहमति से स्थापित किये गए अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध नहीं है.
एफआईआर निरस्त करने के दिए आदेश
एकलपीठ ने बलात्कार के संबंध में संशोधित नियमों का हवाला देते हुए कहा कि 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी के साथ यौन संबंध स्थापित करना अपराध नहीं है. एकलपीठ ने पाया कि मामले में सहमति का अभाव नहीं होने के कारण मामला बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है. एकलपीठ ने एफआईआर निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं.
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