मध्य प्रदेश के जिला अस्पताल सतना में थैलीसीमिया से पीड़ित पांच बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने के मामले में जांच प्रक्रिया लगातार जारी है. प्राथमिक जांच के आधार पर भले ही तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया हो, लेकिन राज्य स्तरीय जांच अभी पूरी नहीं हुई है. जांच टीम के सामने लगभग 200 ब्लड डोनरों को ट्रेस करना सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है.
शुक्रवार को राज्य स्तरीय टीम के चार सदस्यों ने ब्लड बैंक के रिकॉर्ड की गहन जांच की और संबंधित चिकित्सकों व कर्मचारियों के बयान दर्ज किए. राज्य स्तर से आई स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल (SBTC) की उप संचालक डॉ. रूबी खान ने देर रात तक ब्लड बैंक के रजिस्टर, फॉर्म और प्रक्रियाओं की जांच की. टीम सभी आवश्यक दस्तावेज और साक्ष्य संकलित कर देर रात भोपाल के लिए रवाना हो गई. टीम को सात दिनों के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं.
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मरीजों के परिजनों से ली गई फॉर्म संबंधी जानकारी
सूत्रों के अनुसार, डॉ. रूबी खान ने रिकॉर्ड की जांच के दौरान मरीजों के परिजनों को भी बुलाकर ब्लड बैंक द्वारा भरे जाने वाले फॉर्म के संबंध में जानकारी ली. परिजनों ने बताया कि उन्हें किसी भी डोनर फॉर्म के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी.
पर्चे में ब्लड डोनर का नाम मणिशंकर साकेत और ब्लड ग्रुप O पॉजिटिव दर्ज पाया गया. डोनर फॉर्म से जुड़े सवालों के संतोषजनक उत्तर न मिलने पर इस तथ्य को भी जांच रिपोर्ट में दर्ज किया गया है. जांच के दौरान रीवा मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. लोकेश त्रिपाठी भी मौजूद रहे.
ब्लड बैंक संचालन पर संकट
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. अमर सिंह ने बताया कि निलंबन आदेश प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन जांच में सहयोग और तथ्यों की पुष्टि के लिए संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति आवश्यक थी. उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक प्रभारी और दोनों लैब टेक्नीशियन के निलंबन के बाद ब्लड बैंक का संचालन एक बड़ी चुनौती बन गया है. जिला अस्पताल का ब्लड बैंक मुख्य रूप से इन्हीं कर्मचारियों पर निर्भर था. हालांकि मेडिकल कॉलेज से बड़ी संख्या में लैब टेक्नीशियन उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन दोनों संस्थानों के कर्मचारियों के बीच समन्वय की कमी के कारण संचालन प्रभावित हो रहा है. शनिवार को एमडी पैथोलॉजी डॉ. अंकित पांडेय को ब्लड बैंक प्रभारी का प्रभार सौंपा जाएगा.
क्यों हुआ निलंबन?
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा आयुक्त तरुण राठी ने आयुष्मान भारत के सीईओ की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की है.
पूर्व सिविल सर्जन डॉ. मनोज शुक्ला को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. जांच में पाया गया कि 18 मई 2024 से 17 दिसंबर 2025 तक पदस्थ रहने के दौरान उन्होंने ब्लड बैंक का निरीक्षण नहीं किया और ड्रग एंड कॉस्मेटिक रूल्स, 1945 (शेड्यूल एफ) तथा डीजीएचएस मैनुअल के निर्देशों का पालन सुनिश्चित नहीं कराया.
डोनरों के रक्त की उचित जांच और रिकॉर्ड संधारण में गंभीर लापरवाही पाई गई है. उन्हें जवाब प्रस्तुत करने के लिए पांच दिन का समय दिया गया है. वहीं, ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. देवेंद्र पटेल तथा लैब टेक्नीशियन रामभाई त्रिपाठी और नंदलाल पांडेय के खिलाफ डोनर रिकॉर्ड न रखने, टेस्ट किट का विवरण और बैच नंबर दर्ज न करने तथा रक्त चढ़ाने से पहले एचआईवी सहित अन्य आवश्यक जांच न करने जैसी गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं. तीनों को सिविल सेवा नियम, 1966 के तहत निलंबित किया गया है.
नाको की टीम आज करेगी आईसीटीसी सेंटर की जांच
सूत्रों के अनुसार, नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) की टीम शनिवार सुबह 10 बजे से आईसीटीसी सेंटर, एआरटी सेंटर और एचआईवी विभाग की जांच करेगी. सीएमएचओ डॉ. मनोज शुक्ला ने संबंधित सभी प्रभारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं. इसके चलते सभी कर्मचारियों का साप्ताहिक अवकाश भी रद्द कर दिया गया है.
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