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SNCU में भर्ती 40 नवजातों की जान खतरे में! चूहों के आतंक का Video वायरल होते ही मचा हड़कंप

MP News: सतना के जिला अस्पताल के SNCU में भर्ती 40 नवजातों की जान खतरे में है. यहां चूहों के आतंक का वीडियो वायरल होते ही हड़कंप मच गया है. 

SNCU में भर्ती 40 नवजातों की जान खतरे में! चूहों के आतंक का Video वायरल होते ही मचा हड़कंप

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के जबलपुर के विक्टोरिया हॉस्पिटल के आईसीयू और ऑर्थो वार्ड में चूहों की धमाचौकड़ी का वीडियो वायरल होने के बाद अब सतना से भी एक वीडियो वायरल हुआ है जो जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सरदार वल्लभ भाई पटेल शासकीय जिला अस्पताल की सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) का बताया जा रहा है. वीडियो दो दिन पुराना बताया जा रहा जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी है.

एसएनसीयू में खुलेआम दौड़ते नजर आए चूहे बताया जा रहा है कि वायरल वीडियो दो दिन पुराना है. वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि एक चूहा मुंह में मुंगौड़ी दबाए कम्प्यूटर मॉनीटर के नीचे से निकलता है और वाई-फाई राउटर के ऊपर से होते हुए भागता है. जैसे ही उसे आभास होता है कि कोई उसका वीडियो बना रहा है, वह मुंगौड़ी छोड़कर वहां से फरार हो जाता है. वहीं, वीडियो में दो अन्य चूहे भी एसएनसीयू के भीतर एक के पीछे एक दौड़ते हुए नजर आते हैं. 

एसएनसीयू वह यूनिट है, जहां जन्म के तुरंत बाद बीमार होने वाले नवजात बच्चों को भर्ती किया जाता है. इस समय यूनिट में करीब 40 नवजात उपचाररत बताए जा रहे हैं. ऐसे संवेदनशील वार्ड में चूहों की मौजूदगी न सिर्फ स्वच्छता व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि नवजातों की जान के लिए भी बड़ा खतरा मानी जा रही है.

अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि एसएनसीयू सहित जिला अस्पताल के प्रत्येक वार्ड में माउस ट्रैप और रैट ट्रैप केज लगाए गए हैं और समय-समय पर पेस्ट कंट्रोल कराया जाता है. हालांकि वायरल वीडियो ने इन दावों को पूरी तरह से झूठा साबित कर दिया है. वीडियो में चूहे के मुंह में मुंगौड़ी दिखाई देना इस बात की ओर इशारा करता है कि एसएनसीयू के भीतर ही स्टाफ द्वारा खाद्य सामग्री लाई जाती है और वहीं खाया-पीया जाता है. खाने के अंश इधर-उधर गिरने से चूहों को यहां आने का खुला निमंत्रण मिल रहा है, जो सीधे तौर पर अस्पताल की लापरवाही को उजागर करता है. अब बड़ा सवाल यह है कि जब नवजातों की जान दांव पर लगी हो, तब भी यदि अस्पताल प्रबंधन गंभीर नहीं है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? क्या स्वास्थ्य विभाग इंदौर जैसी घटना के दोहराए जाने का इंतजार कर रहा है?

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