MP High Court Verdict on Civil Judge Recruitment 2023: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने सिविल जज भर्ती परीक्षा 2023 को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट (MP High Court) ने सिविल जजों की नियुक्ति को रोकते हुए प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों को निरस्त कर दिया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सिविल जज भर्ती परीक्षा 2023 के प्री-एग्जाम (Pre Exam Result) का रिजल्ट दोबारा जारी करने को कहा है. जिसके बाद अब नए सिर से मेन्स परीक्षा आयोजित की जाएगी. बता दें कि सिविल जज भर्ती परीक्षा 2023 को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि यह परीक्षा सही नियमों के मुताबिक नहीं कराई गई है. इसी याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह बड़ा फैसला सुनाया है.
आपको बता दें कि ग्वालियर निवासी ज्योत्सना डोहलिया और वर्षा श्रीवास्तव ने पुनर्विचार याचिका दायर कर हाईकोर्ट के पूर्व में दिए गए फैसले को चुनौती दी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अमरनाथ केशरवानी की युगल पीठ ने कहा कि जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक सिविल जज की नियुक्ति पर रोक रहेगी.
याचिका में कही गई यह बात
याचिकर्ताओं ने याचिका में कहा था कि सिविल जज की प्रारंभिक परीक्षा पुराने नियम (1994) के अनुसार ली गई थी, जबकि मुख्य परीक्षा संशोधित नियम 2023 के अनुसार कराई गई. नए नियम के अनुसार, एलएलबी में 70 प्रतिशत या तीन साल की वकालत का अनुभव होना अनिवार्य है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अतुल चौधरी ने दलील दी कि परीक्षा परिणाम पुराने नियम से घोषित किए गए हैं, जिससे मुख्य परीक्षा का कटऑफ हाई गया है. इसके चलते कई अपात्र भी मुख्य परीक्षा के लिए पात्र हो गए थे.
याचिका में मांग की गई थी कि अपात्रों को बाहर कर नए सिरे से मेरिट सूची तैयार की जाए. यह भी दलील दी गई कि अपात्रों के बाहर हो जाने से कट ऑफ मार्क्स नीचे आ जाएंगे, जिससे बहुत से वंचित उम्मीदवारों को भी मौका मिलेगा.
हाल ही में जारी हुआ था फाइनल रिजल्ट
बता दें कि इससे पूर्व हाईकोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिका निरस्त कर दी थी. जिसके बाद पुनर्विचार याचिका दायर की गई और याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने यह बड़ा फैसला सुनाया. बता दें कि सिविल जज भर्ती 2023 के मेन्स एग्जाम के रिजल्ट के साथ ही हाल ही में फाइनल परिणाम जारी हुए थे. जिसके बाद अब चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जानी थी, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है.
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