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पति जिंदा है तो पत्नी संपत्ति में नहींं मांग सकती हिस्सा, HC ने ससुराल में बहू के रहने के हक को भी माना

Wife Rights Over Husband Property: दरअसल, दो बहुओं ने संपत्ति में हिस्सा देने और ससुराल में रहने देने की मांग की थी, लेकिन सास ने बहुओं के दावों को सुनवाई योग्य नहीं बताया, जिसे खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि पति के जीवित रहते पत्नी ससुराल की संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकती, लेकिन ये भी सही है कि पत्नी से ससुराल में रहने का अधिकार नहीं छीना सकता है. 

पति जिंदा है तो पत्नी संपत्ति में नहींं मांग सकती हिस्सा, HC ने ससुराल में बहू के रहने के हक को भी माना
MP HIGH COURT BIG DECISION HUSBAND-WIFE PROPERTY DISPUTE

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मंगलवार को पति की संपत्ति में पत्नी के हिस्से को लेकर एक अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पति के जीवित रहते पत्नी संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकती, लेकिन उसके ससुराल मे रहने का हक़ नहीं छीना जा सकता है, लेकिन बहुओं के ससुराल के हक को लेकर एक अहम फैसला सुनाया.

दरअसल, दो बहुओं ने संपत्ति में हिस्सा देने और ससुराल में रहने देने की मांग की थी, लेकिन सास ने बहुओं के दावों को सुनवाई योग्य नहीं बताया, जिसे खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि पति के जीवित रहते पत्नी ससुराल की संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकती, लेकिन ये भी सही है कि पत्नी से ससुराल में रहने का अधिकार नहीं छीना सकता है. 

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बहुओं ने पति की संपत्ति में हिस्सा देने और ससुराल में रहने के लिए दायर की थी याचिका

रिपोर्ट के मुताबिक सिविल कोर्ट के 9 मई 2023 के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर एक याचिका में दो बहुओं ने कोर्ट में पति की संपत्ति में हिस्सा देने, ससुराल में ही रहने और विधिक प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही हटाने की मांग की थी, लेकिन सास की ओर से दिए आवेदन में तर्क दिया गया कि बहुओं का दावा सुनवाई योग्य नहीं है.

हाई कोर्ट ने बहुओं का दावा खारिज न करते हुए सास का आवेदन खारिज कर दिया

बहुओं ने दायर याचिका में कोर्ट से कहा कि वो अपने-अपने पति के साथ ससुराल में ही रहना चाहती हैं, लेकिन सास की ओर से आवेदन में दलील दी गई कि ये दावा सुनवाई योग्य ही नहीं है, क्योंकि पति के जीवित रहते पत्नी हिस्सा नहीं मांग सकती, संयुक्त हिंदू परिवार के प्रावधानों में इसे स्पष्ट किया गया है, लेकिन कोर्ट ने सास के तर्क को खारिज कर दिया.

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एडवोकेट आरके सोनी ने बताया कि ग्वालियर स्थित पैतृक मकान में बहू प्रीति शर्मा पत्नी भगवत और बहू पूजा शर्मा पत्नी शैलेंद्र शर्मा ने कोर्ट में संपत्ति में हिस्सा देने की मांग की थी. बहुओं की ओर से साथ ही यह भी गुहार की गई थी कि उन्हें ससुराल से बेदखल नहीं किया जाए.

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कोर्ट ने कहा, 'ससुराल में बहुओं के रहने के अधिकार की अनदेखी नहीं की जा सकती'

हाई कोर्ट ने दोनों पक्षो क़ो सुनने के बाद कहा कि पति के जीवित रहते पत्नी को  संपत्ति में हिस्सा तो नहीं दिया जा सकता, लेकिन ये बात भी सही है कि ससुराल में उनके रहने के अधिकार की अनदेखी भी नहीं की जा सकती. कोर्ट ने कहा कि दोनों बहुओं की ओर से दो मांग की गई हैं, ऐसे में दावे को आंशिक रूप से स्वीकार या खारिज नहीं किया जा सकता है.

सगी बहनें प्रीति शर्मा और पूजा शर्मा दोनों बहुओं की ओर से दायर की गई थी याचिका 

गौरतलब है हाई कोर्ट में बहू प्रीति और पूजा (सगी बहनें) दोनों बहुओं की ओर से दायर याचिका में पति की संपत्ति में हिस्सा और ससुराल में रहने का मांग की थी. बहू प्रीति का विवाह 3 जुलाई 2014 क़ो भगवत शर्मा के साथ और बहू पूजा का विवाह 24 फरवरी 2016 को शैलेंद्र शर्मा से हुआ था.

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