Madhya Pradesh News in Hindi: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की युगलपीठ ने आरोपी को दुष्कर्म के आरोप से दोषमुक्त कर दिया है. कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि डीएनए रिपोर्ट का मेल न होना यह सिद्ध करता है कि दुष्कर्म के आरोप में दोषमुक्त किया जाना न्यायोचित है. हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपित द्वारा पीड़िता के घर में अनाधिकृत प्रवेश के लिए दी गई सजा वैध है. आरोपित पहले ही 92 दिन जेल में बिता चुका है और यह सजा पर्याप्त मानी गई.
जानें पूरा मामला
बता दें कि आरोपी को सेशन कोर्ट द्वारा दुष्कर्म के आरोप से दोषमुक्त किया गया था. इसके बावजूद एससी-एसटी एक्ट और घर में जबरन घुसने के आरोप में दो वर्ष की सजा दी गई थी. पीड़िता ने दुष्कर्म के आरोप में दोषमुक्ति के खिलाफ और आरोपित ने अपनी सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी.
नरसिंहपुर निवासी एक युवक के खिलाफ पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई थी कि वह जबरन उसके घर घुसा और दुष्कर्म किया. युवक पर यह भी आरोप लगाया गया कि उसने पीड़िता को धमकाया. घटना के दौरान शिकायतकर्ता की बड़ी बहन वहां आ गई थी, जिसके बाद उसने परिवार को यह बात बताई और पुलिस रिपोर्ट दर्ज करवाई.
सेशन कोर्ट ने सुनाया था ये फैसला
सेशन कोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट के आधार पर पाया कि पीड़िता पर कोई बाहरी चोट के निशान नहीं थे और घटना का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं था. कोर्ट ने इसे प्रेम संबंधों के विवाद का मामला मानते हुए युवक को दुष्कर्म के आरोप से दोषमुक्त किया.
कोर्ट ने किया पीड़िता की अपील को खारिज
हाई कोर्ट ने पाया कि पीड़िता और आरोपित के परिवार के बीच दुश्मनी थी. यह भी प्रमाणित हुआ कि समाज की पंचायत में आरोपित के पिता ने दोनों के प्रेम संबंधों का जिक्र किया था, जिससे विवाद बढ़ा. हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुमति के बिना घर में प्रवेश करना धारा 448 के अंतर्गत अपराध है, लेकिन अन्य आरोप नहीं बनते. हाई कोर्ट ने पीड़िता की अपील खारिज करते हुए कहा कि दुष्कर्म के आरोप से दोषमुक्त करना उचित है.
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