Mid Day Meal: निवाड़ी जिले से एक ऐसी सनसनीखेज खबर सामने आई है, जिसने न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था बल्कि बच्चों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. जिस स्कूल को सरकार ने “पीएम श्री” (PM Shri School) जैसी प्रतिष्ठित योजना के तहत चुना, वहीं स्कूल आज डर और लापरवाही की मिसाल बनता नजर आया. पीएम श्री कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाली 12 छात्राएं अचानक बीमार पड़ गईं, और देखते ही देखते स्कूल परिसर में अफरा-तफरी मच गई. जिस स्कूल में बेटियों को सुरक्षित भविष्य की शिक्षा मिलनी थी, वहीं आज उनकी जान पर बन आई. निवाड़ी के पीएम श्री कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल में जो हुआ, वह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि सिस्टम की बड़ी चूक का आईना है. सवाल यह है—क्या हमारी बेटियां स्कूल में भी सुरक्षित नहीं हैं?
क्या है मामला?
घटना निवाड़ी जिला मुख्यालय स्थित पीएम श्री कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल की है. दोपहर के समय छात्राओं ने रोज़ की तरह मध्यान भोजन किया. भोजन करने के कुछ ही समय बाद अचानक 12 छात्राओं की तबीयत बिगड़ने लगी. किसी को तेज़ चक्कर आए, किसी को उलझन और कमजोरी महसूस हुई, तो कुछ छात्राएं जमीन पर बैठने को मजबूर हो गईं. स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि स्कूल परिसर में हड़कंप मच गया. सहपाठी बच्चियां डर गईं, शिक्षक घबरा गए और सूचना प्रशासन तक पहुंची.
धूप में कक्षाएं और अनसुनी गुहार
बीमार पड़ी छात्राओं ने बाद में बताया कि उनकी कक्षाएं धूप में लगाई गई थीं. तेज़ धूप और गर्मी के कारण उन्हें पहले से ही परेशानी हो रही थी. छात्राओं का आरोप है कि उन्होंने कई बार शिक्षकों से कहा कि धूप से हटाया जाए, लेकिन उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया. अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या बच्चों की सेहत से ज्यादा ज़रूरी औपचारिकताएं थीं. क्या स्कूल प्रबंधन ने मौसम और हालात का आकलन किया?
कलेक्टर मौके पर पहुंचीं
घटना की सूचना मिलते ही कलेक्टर जमुना भिड़े तत्काल पीएम श्री कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल पहुंचीं. उन्होंने स्कूल परिसर का निरीक्षण किया, बीमार बच्चियों से बातचीत की और हालात की जानकारी ली. कलेक्टर के निर्देश पर तुरंत एंबुलेंस बुलाई गई, और सभी 12 छात्राओं को जिला अस्पताल पहुंचाया गया. यह प्रशासन की तत्परता जरूर दिखाता है, लेकिन सवाल यह भी है कि अगर पहले सावधानी बरती जाती, तो क्या यह नौबत आती.
स्वास्थ्य विभाग की जांच
इस मामले पर सीएमएचओ डॉ अनिल झामनानी ने बताया कि यह प्रकरण फूड पॉइजनिंग से जुड़ा हो सकता है, जिसके लिए मिड डे मील की जांच कराई जा रही है. खाने के सैंपल लिए गए हैं और रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ होगी. वहीं जिला अस्पताल में इलाज कर रहे डॉ. आदर्श तिवारी का कहना है कि छात्राओं के बीमार होने के पीछे फूड पॉइजनिंग और हीट स्ट्रोक, दोनों संभावनाएं हो सकती हैं. फिलहाल सभी बच्चियों की हालत स्थिर (स्टेबल) है और प्राथमिक उपचार कर दिया गया है. यह घटना सिर्फ 12 बच्चियों की तबीयत बिगड़ने का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करती है.
पीएम श्री जैसे प्रतिष्ठित स्कूल में खाने की गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं?
तेज़ धूप में बच्चों को बैठाने का निर्णय किसने लिया और छात्राओं की शिकायतों को नज़रअंदाज़ क्यों किया गया. क्या स्कूलों में आपदा और स्वास्थ्य से जुड़ा कोई प्रोटोकॉल लागू है भी या नहीं. अगर समय रहते एंबुलेंस नहीं पहुंचती, तो हालात और भी भयावह हो सकते थे. निवाड़ी की इस घटना ने माता-पिता के मन में डर पैदा कर दिया है. वे पूछ रहे हैं कि अगर स्कूल ही सुरक्षित नहीं, तो बच्चों को कहां भेजें?
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