
Mandir-masjid Dispute escalated in Jabalpur: मध्य प्रदेश के जबलपुर (Jabalpur) जिले के मड़ई में कथित रूप से मंदिर भूमि पर मस्जिद निर्माण विवाद ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया है. इसी कड़ी में सोमवार को जिला कलेक्टर के विरोध में हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर का अर्थी जुलूस निकाला. इसके साथ ही इन लोगों ने जबलपुर बंद की भी चेतावनी दी.
दरअसल, ये मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है. इस बीच 12 जुलाई को जबलपुर कलेक्टर ने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर विवादित मस्जिद को वैध बताते हुए पोस्ट कर दी. बस क्या था, इससे हिंदूवादी संगठन के लोग आग बबूला हो गए. इन लोगों का आरोप है कि इस पोस्ट में गायत्री बाल मंदिर के अस्तित्व को ही नकारने की कोशिश की गई है. इसके साथ ही इन लोगों ने आरोप लगाया है कि कलेक्टर के इस कदम से ये संदेश दिया गया है कि प्रशासन पहले ही निर्णय कर चुका है. ऐसे में कोर्ट की प्रक्रिया व जनता की भावना का कोई महत्व नहीं रह गया है.
हिंदूवादी संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन
इसके बाद सोमवार को विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad ) और बजरंग दल ((Bajrang Dal) ने विरोध के तहत मड़ई में कलेक्टर का अर्थी जुलूस निकाला. यह जुलूस सरस्वती स्कूल से बस स्टैंड तक निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, महिला कार्यकर्ता और युवा शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन पर हिंदू भावनाओं का अपमान करने और मंदिर भूमि पर अतिक्रमण को संरक्षण देने का आरोप लगाया. इस दौरान 'कलेक्टर हटाओ, मंदिर बचाओ' के नारे लगाए गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए क्षेत्र में पुलिस बल तैनात करना पड़ा.
15 जुलाई को फिर जबलपुर जिले में प्रदर्शन की चेतावनी
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने चेतावनी दी है कि 15 जुलाई को जबलपुर विभाग के सभी 41 प्रखंडों में कलेक्टर का पुतला दहन किया जाएगा. यदि 24 घंटे में प्रशासन ने कलेक्टर को हटाने की घोषणा नहीं की, तो 16 जुलाई को जबलपुर बंद किया जाएगा. इसके साथ ही गायत्री बाल मंदिर की भूमि पर मस्जिद के कथित अवैध निर्माण को लेकर वर्षों से जारी विवाद अब अपने उग्र मोड़ पर पहुंच गया है.
ये है विवाद की वजह
मूल विवाद मंदिर की उस ज़मीन को लेकर है, जो राजस्व रिकॉर्ड में वर्ष 1975 से गायत्री बाल मंदिर के नाम पर दर्ज है, जबकि जिस स्थान पर मस्जिद बनी है, वह खसरा नंबर 169 पर है. वहीं, वक्फ बोर्ड की ज़मीन खसरा नंबर 165 पर दर्ज है, जो मस्जिद से करीब 40 मीटर दूर बताई जा रही है. विवाद इस बात से और गहरा गया है कि वक्फ के नाम केवल 1000 वर्ग फीट ज़मीन दर्ज है, जबकि वर्तमान में मस्जिद लगभग 3000 वर्ग फीट क्षेत्र में फैली हुई है, जहां न केवल मस्जिद है, बल्कि दुकानें और एक मदरसा भी संचालित हो रहा है.
जांच के बाद नायब तहसीलदार ने दी थी ये रिपोर्ट
यह भी कहा जा रहा है कि इस मामले में नायब तहसीलदार ने अपनी जांच के बाद 29 अक्टूबर 2021 को जो रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, उसमें यह स्पष्ट लिखा गया है कि मस्जिद जिस भूमि पर बनी है, वह वक्फ बोर्ड या मस्जिद के नाम दर्ज नहीं है.
मुस्लिम पक्ष ने दावों को किया खारिज
मुस्लिम पक्ष के एडवोकेट दिलशाद अली ने कहा है कि यह कोई विवाद ही नहीं है, क्योंकि मामला कोर्ट में लंबित है. ऐसे में संबंधित पक्ष को चाहिए कि वह अपने स्वामित्व के दस्तावेज अदालत में प्रस्तुत करे. सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर दबाव बनाने की कोशिश करना गलत है और प्रशासन को ऐसी अनुमति नहीं देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि कोई प्रदर्शन करता है तो उसे शक्ति के साथ रोका जाना चाहिए. एडवोकेट दिलशाद अली ने दो रकवे की स्थिति पर स्पष्ट किया कि “जो दो रकवे की बात की जा रही है, वह हमारी खरीदी हुई जमीन है. मात्र त्रुटिवश राजस्व अभिलेख में गलत तरीके से दर्ज हो गई है, जिसे कोर्ट में स्पष्ट कर दिया जाएगा.”
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गौरतलब है कि मस्जिद पक्ष ने अपनी वैधता साबित करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका WP/21354/2024 दायर की थी, लेकिन आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत न कर पाने के कारण उन्हें याचिका वापस लेनी पड़ी, जिससे उनके दावे पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.
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