Deepawali 2024: हिंदुओं का प्रमुख त्योहार दिवाली 2024 करीब है. इस पांच दिवसीय पर्व की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है. देशभर में इस समय इसकी चहल-पहल घर से लेकर बाजारों तक दिख रही है. घरों और दुकानों की साफ-सफाई, खरीदारी आदि शुरू हो चुकी है. वहीं मंदिरों की सजावट रंगबिरंगे फूलों और जगमगाती लाइटों से की जा रही है, लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम में एक ऐसा मंदिर है, जहां हर साल इसकी सजावट करोड़ों रुपये के नोटों और हीरे जेवरातों से की जाती हैं. मंदिर में प्रवेश करते ही हर जगह सिर्फ पैसे और गहने ही नजर आतें हैं.
दिवाली पर फूलों से नहीं नोटों और गहनों से सजाया जाता है मंदिर
अनोखी सजावट के अलावा ये मंदिर अपने चमत्कारों के लिए भी देशभर में प्रसिद्ध है. मान्यता है कि मंदिर में जो भी भेंट के रुप में चढ़ाया जाता है वो उसी साल के अंत में दोगुनी हो जाती है. खासतौर पर दीवाली के समय इस मंदिर में खूब भीड़ होती है. लोग दूर दूर से माता लक्ष्मी के दर्शन करने रतलाम पहुंचते हैं. कहा जाता है कि यहां माता लक्ष्मी से जो मांगा जाता है वो भक्तों को मिलता है. यहां भक्त लाखों रुपये माता के चरणों में रखने आते हैं और दीपावली के बाद वो राशि वापस ले जाते हैं. भक्तों का मानना है कि ऐसा करने से उनके धन में बरकत बनी रहती हैं.
भक्त अर्पित करते हैं सोने-चांदी और हीरे का जेवर
दीवाली से पहले लोग यहां पर पूरी श्रद्धा के साथ नोटों की गड्डियां और आभूषण लेकर आते हैं. श्रद्धालु लाखों रुपये माता लक्ष्मी के चरणों में रखने के लिए घंटो तक कतार में खड़े रहते हैं. मंदिर में लक्ष्मी मां की पोशाक जिन आभूषणों से बनी होती है, जिसकी कीमत ही करोड़ों रुपये हैं.
दिवाली के बाद प्रसाद में मिलते हैं आभूषण
मंदिर में नोटों की सजावट को देखकर लगता है कि धन से जुड़ी सारी सजावट मंदिर समिति करती है, लेकिन सजावट के लिए नोट श्रद्धालु देते हैं, जो उन्हें बाद में वापस कर दिया जाता है. साथ ही इसकी बकायदा एंट्री भी की जाती है और टोकन भी दे दिया जाता है. इसके लिए आधार कार्ड ओर एक फोटो भी देना होता है. भाई दूज के बाद टोकन वापस देने पर इसे वापस भी लिया जा सकता है.
कहा जाता है कि पूरे भारत देश में ऐसा कोई भी मंदिर नहीं है जहां पर सोने-चांदी के आभूषणों, हीरों- जवाहरातों व नकद राशि से महालक्ष्मीजी का श्रृंगार किया जाता है. इस मंदिर की खासियत ये है कि आज तक भक्तों के द्वारा लाए गए लाखों के आभूषण इधर से उधर नहीं हुए हैं. एक समय के बाद भक्तों को ये वापस कर दिए जाते हैं.