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MP Debt: राज्य के बजट को भी पार कर गया मध्य प्रदेश का कर्ज, 4.65 लाख करोड़ रुपये पहुंचा आंकड़ा

वित्तीय दबाव की यह चर्चा ऐसे समय सामने आई है, जब मध्य प्रदेश सरकार के दो साल पूरे होने के बाद राज्य के कर्ज को लेकर सवाल तेज हो गए हैं. पिछले करीब दो वर्षों में राज्य सरकार ने औसतन हर दिन 125 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लिया है. अकेले लाडली बहना योजना पर हर महीने ₹1,890 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं.

MP Debt:  राज्य के बजट को भी पार कर गया मध्य प्रदेश का कर्ज, 4.65 लाख करोड़ रुपये पहुंचा आंकड़ा

मध्य प्रदेश पर कुल कर्ज 4.65 लाख करोड़ रुपये हो चुका है, जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राज्य का कुल बजट 4.21 लाख करोड़ रुपये रहा. राज्य की वित्तीय स्थिति और बढ़ते कर्ज को लेकर चल रही बहस के बीच नगरीय विकास और आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का बयान आया है. विजयवर्गीय ने साफ कहा कि राज्यों के बजट की हालत बेहद खराब हो चुकी है और इसकी बड़ी वजह चुनावी और राजनीतिक मजबूरियों के चलते की गई घोषणाएं हैं, जिसका सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ा है.

कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित शहरी विकास मंत्रियों की क्षेत्रीय बैठक में बोलते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि इसी दबाव के कारण आज राज्य सरकारों को केंद्र की ओर ज्यादा देखना पड़ता है. उन्होंने माना कि आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रयास जारी है, लेकिन चुनाव के दौरान किए गए वादों ने वित्तीय दबाव को कई गुना बढ़ा दिया है. विजयवर्गीय ने आगे कहा कि अब समय आ गया है, जब शहरों को खुद ड्राइविंग सीट पर बैठकर अपने आसपास के क्षेत्रों के विकास की जिम्मेदारी लेनी होगी. उन्होंने मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि अमृत योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं में केंद्र से और अधिक सहयोग की आवश्यकता है, क्योंकि राज्यों की अपनी सीमाएं स्पष्ट हो चुकी हैं.

केंद्रीय शहरी कार्य मंत्री खट्टर ने भी जताई चिंता

इस बैठक में केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी राज्यों की वित्तीय स्थिति पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आय के अंतर को कम करना जरूरी है और यह तभी संभव है, जब केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करें. उनके मुताबिक, राज्यों को खुद को मजबूत करना होगा, ताकि विकास की रफ्तार बनी रहे.

ऐसे बढ़ रहा है कर्ज का दबाव

वित्तीय दबाव की यह चर्चा ऐसे समय सामने आई है, जब मध्य प्रदेश सरकार के दो साल पूरे होने के बाद राज्य के कर्ज को लेकर सवाल तेज हो गए हैं. पिछले करीब दो वर्षों में राज्य सरकार ने औसतन हर दिन 125 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लिया है. अकेले लाडली बहना योजना पर हर महीने ₹1,890 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. यानी सालाना ₹22,680 करोड़ रुपये.  सरकार ने 2028 तक इस राशि को 3000 रुपये प्रति माह करने का वादा किया है, जबकि मुख्यमंत्री ने भविष्य में इसे 5000 रुपये प्रति माह तक ले जाने की इच्छा भी जताई है.

सरकार ने गढ़ी नई परिभाषा

हालांकि, 2 दिनों पहले कर्ज के मुद्दे पर उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि इसे कर्ज नहीं, बल्कि निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए. उनका कहना था कि भारत सरकार द्वारा तय सीमा के भीतर ही लोन लिया जाता है और कर्ज की पूरी राशि अधोसंरचना विकास में खर्च होती है. उन्होंने कहा कि विपक्ष इसे कर्ज बताता है, लेकिन सरकार इसे विकास के लिए किया गया निवेश मानती है.

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मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विधानसभा के विशेष सत्र में कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद पिछले दो वर्षों में राज्य की विकास दर करीब 14 से 15 प्रतिशत रही है. लोन को लेकर उन्होंने यह भी कहा कि राज्य पर मौजूद कुल कर्ज का बड़ा हिस्सा पिछली सरकारों के समय लिया गया था, जबकि मौजूदा सरकार विकास को रफ्तार देने के लिए संसाधनों का इस्तेमाल कर रही है.

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