
Indore Temple Accident: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने इंदौर में हुए बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर हादसे (Beleshwar Mahadev Jhulelal Temple Accident) में मंगलवार को राज्य सरकार (Madhya Pradesh Government) और इस देवस्थान के प्रबंधन (Temple Management) से जुड़े न्यास से जवाब तलब किया है. इसके साथ ही उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ (Indore bench) के न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा ने इस हादसे की पुलिस जांच, मजिस्ट्रेट जांच और आरोप पत्र की मौजूदा स्थिति को लेकर रिपोर्ट पेश किए जाने का आदेश भी दिया.
बता दें कि इंदौर में एक बावड़ी पर कथित रूप से अवैध तौर पर बने बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की फर्श धंसने से 36 लोगों की मौत हो गई थी. जिसको लेकर दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा है. पीठ ने शहर के पूर्व पार्षद महेश गर्ग द्वारा दायर जनहित याचिका पर संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश दिया. याचिका में मंदिर हादसे के सभी दोषियों की जिम्मेदारी तय किए जाने और ऐसी दुर्घटनाओं के दोबारा होने से रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाने का अनुरोध किया गया है.
CBI से जांच कराने की हुई मांग
याचिका में इस हादसे की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कराए जाने की गुहार भी लगाई गई है. याचिका में प्रतिवादियों के तौर पर सीबीआई को शामिल किया गया है. हालांकि, पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह मौजूदा पड़ाव पर सीबीआई को नोटिस जारी करने का कोई आधार नहीं पाती है.
याचिका पर बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील मनीष यादव ने हादसे की कथित तौर पर ढीली और धीमी जांच की ओर युगल पीठ का ध्यान खींचा. वहीं, प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा प्रदान किया गया है. इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि इस मुआवजे का भुगतान सरकारी खजाने से क्यों होना चाहिए और क्या मंदिर से जुड़े न्यास से मुआवजे की रकम की वसूली की गई है? याचिका पर अगली सुनवाई की संभावित तारीख 15 जनवरी 2024 है.
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मंदिर का फर्श धंसने से 36 लोगों की गई थी जान
अधिकारियों ने बताया कि बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की फर्श 30 मार्च को रामनवमी के हवन-पूजन के दौरान धंस गई थी, जिससे बावड़ी में गिरकर 21 महिलाओं और दो बच्चों समेत 36 लोगों की जान चली गई थी. उन्होंने बताया कि हादसे के बाद बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर न्यास के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली कुमार सबनानी के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
प्रशासन ने हादसे के चार दिन बाद तीन अप्रैल को बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियां को अन्य देवस्थान में स्थानांतरित कर दिया था और आम लोगों की सुरक्षा का हवाला देते हुए बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर को ढहा दिया था. इसके साथ ही, भीषण हादसे की गवाह रही बावड़ी को मलबा डालकर हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था.
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